प्रेग्नेंसी का सफर हर कपल के लिए काफी खास होता है. वहीं आपने सुना होगा कि जब महिला प्रेग्नेंट होती है, तो बच्चा गर्भाशय में विकसित होता है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई बच्चा गर्भाशय की जगह लिवर में पाया गया है. हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसमें बच्चा गर्भाशय की जगह लिवर में पाया गया है. मेडिकल साइंस में इसे बेहद ही दुर्लभ और खतरनाक स्थिति कहा जाता है. आइए आपको इसके बारे में बताते है.
क्या है इन्ट्रा हेपेटिक प्रेग्नेंसी?
दरअसल, इस प्रेग्नेंसी का नाम इन्ट्रा हेपेटिक प्रेग्नेंसी है, जो कि बेहद ही दुर्लभ और गंभीर स्थिति है. इसमें बच्चा गर्भाशय की जगह लिवर में विकसित होने लगता है. वहीं गर्भावस्था में भ्रूण मां के गर्भाशय के अंदर बढ़ता है, लेकिन विशेष कारणों से कभी-कभी भ्रूण अन्य अंगों जैसे फेलोपियन ट्यूब, पेट की गुहा, अंडाशय या लिवर में भी विकास कर सकता है. इस स्थिति को एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है और भ्रूण लिवर में इम्प्लांटि हो जाता है.
क्या है इसके कारण
इस स्थिति में ट्यूभ फटना या फिर बच्चा गलत दिशा में इम्लांट हो सकता है. वहीं भ्रूण पेट की गुहा में गिरकर किसी ऐसे अंग से चिपक जाता है जो उसे रक्त प्रवाह प्रदान करता है, और लिवर रक्त से भरपूर अंग होने के कारण भ्रूण वहां विकसित हो जाता है. इसके अलावा, महिलाओं में जो आईवीएफ या अन्य फर्टिलिटी तकनीकों का उपयोग करती हैं, फेलोपियन ट्यूब में संक्रमण या सर्जरी का इतिहास रखती हैं, या जिनकी पेट में पूर्व सर्जरी या चोट हुई होती है, उनमें इन्ट्राहेपेटिकप्रेग्नेंसी का खतरा अधिक होता है.
क्या है इसके लक्षण
इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में तेज दर्द, उल्ट, मिचली, चक्कर आना या बेहोशी शामिल होती है. वहीं लिवर के आसपास सूजन या दबाव महसूस होना. वहीं इसके ये लक्षण शुरुआती चरण में सामान्य गर्भावस्था के लक्षणों से अलग होते हैं, इसलिए इसको पहचानना मुश्किल हो जाता है.
ये है इसके जोखिम
इसके जोखिम की बात करें तो इसमें लिवर फट सकता है, क्योंकि यह खून से भरा हुआ एक जरूरी अंग होता है. वहीं जब गर्भ में भ्रूण का आकार बढ़ने लगता है, तो वह लिवर पर दबाव डाल सकता है. इसकी वजह से मां की जान तक जा सकती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.