Patanjali Tips: पतं​जलि के बताए पांच प्राणायाम से तनाव होगा कम, बीपी जैसी बीमारी का रामबाण इलाज

बाबा रामदेव एक दशक से भी अधिक समय से योग का पूरे भारत में प्रचार कर रहे हैं. उनके नुस्खे बड़ी बीमारियों का इलाज करने में सक्षम हैं. आज हम आपको ऐसे प्राणायाम के बारे में बताएंगे जो डेली रूटीन का हिस्सा बन सकते हैं.

बाबा रामदेव एक दशक से भी अधिक समय से योग का पूरे भारत में प्रचार कर रहे हैं. उनके नुस्खे बड़ी बीमारियों का इलाज करने में सक्षम हैं. आज हम आपको ऐसे प्राणायाम के बारे में बताएंगे जो डेली रूटीन का हिस्सा बन सकते हैं.

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Mohit Saxena
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patanjali Photograph: (social media)

बाबा रामदेव ने पतंजलि के माध्यम से आयुर्वेद की पुरानी पद्धतियों को पूरे भारत में फैलाने की कोशिश की है. शरीर से जुड़ी किसी तरह की  परेशानी का इलाज बाबा रामदेव के पास है. आज के समय में आपको  हर जगह पर पतंजलि के प्रोडक्ट आसानी से स्टोर्स पर उपलब्ध हो जाएंगे. ऑनलाइन पोर्टल्स पर मिल जाएंगे. बाबा रामदेव की योग एजुकेशन और प्राकृतिक चीजों के बने प्रोडक्ट्स से हेल्थ प्रॉब्लम के सॉल्यूशन से कई  लोगों की जिंदगी पर असर पड़ा है. भागदौड़ भरी जिंदगी में फिजिकल हेल्थ के साथ ही मेंटल हेल्थ पर भी असर होता है. इससे निपटने के लिए ब्रीदिंग टेक्निक काफी लाभकारी हो सकते हैं. आइए जानते हैं बाबा रामदेव के कुछ प्राणायाम जो आपको तनाव से दूर कर सकते हैं. 

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अगर आप स्ट्रेस, एंग्जायटी के कारण परेशान हैं तो मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए ब्रीदिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह तनाव के साथ नेगेटिव थॉट्स को दूर करने में सहायक है. आपको बता दें कि प्राणायाम के दौरान सांसों को एक नियमित लय में रखना होता है. इसे ब्रेन तक ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है. इसके साथ मन को  शांत करने में सहायता मिलती है. ये है बाबा रामदेव के बताए 5 प्राणायाम.

अनुलोम-विलोम

बाबा रामदेव की पतंजलि वेलनेस के अनुसार, अनुलोम-विलोम एक पावरफुल प्राणायाम है. ऐसा करने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह काफी बेहतर हो जाता है. ये बीपी को कंट्रोल करने में मदद करता है. इससे आपका मन शांत रहता है. इसे करने के लिए सुखासन में बैठना होता है. फिर अपने हाथ से एक नासिका एक छिद्र को बंद करके दूसरी नासिका के छिद्र से सांस को भीतर खींचना होता है. अब बंद नासिका  को खोल दें और सांस छोड़ें. इस दौरान जिससे सांस खींची है उस  नासिका को बंद कर दें.

भस्त्रिका प्राणायाम

इस प्राणायाम में ध्यान आसन में बैठकर खुद को बिल्कुल शांत रखें और फिर सहजता से सांस को धीरे-धीरे छोड़ना और खींचना शामिल करें. इससे आपके फेफड़े सक्रिय हो जाते हैं. पूरे शरीर को एनर्जी मिलती है. इसके साथ आप मानसिक रूप से काफी रिलैक्स महसूस करते हैं.

कपालभाति प्राणायाम

पतंजलि वेलनेस के तहत इस प्राणायाम को करते समय पूरी अटेंशन लैक्सेटिव पर  देनी होती है. शुरुआत में इसे पूरक बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए. कपालभाति सक्रिय तरह से सांस लेने और छोड़ने  पर आधारित है. ये प्राणायाम आपके हार्ट से लेकर फेफड़ों के साथ मेंटल  हेल्थ को बेहतर रखता है. 

भ्रामरी प्राणायाम

मेंटल वेल बीइंग को सुधारने को लेकर भ्रामरी प्राणायाम काफी लाभदायक माना जाता है. इसके लिए पहले दोनों हाथों को आंखों पर रखकर 3 से 5 सेकंड की समय सीमा में लय के साथ सांस लेना होगा. उस दौरान ऊं  का उच्चारण करें.

उज्जायी प्राणायाम के लाभ 

मन की शांति और स्ट्रेस को कम करने को लेकर भी नींद के पैटर्न को सुधारने के लिए आपको उज्जायी प्राणायाम करना होता है. ये आपके पाचन और फेफड़ों को लाभ पहुंचाता है. इसे करने के लिए ध्यान मुद्रा में बैठकर दोनों नासिका के छिद्र से सांस खींचते हुए कंठ को सिकोड़ना होता है. इस दौरान खर्राटे जैसी ध्वनि की संभावना रहती है. इसमें दाएं को बंद करके  बाएं से सांस छोड़नी चाहिए.

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