/newsnation/media/media_files/2025/05/01/tsgbY8aPNsgYHMS2UUgh.jpg)
patanjali (social media)
पतंजलि आयुर्वेद लगातार आम जनता के बीच खास पहचान बना चुका है. इस ब्रांड ने देश के हर नागरिक में पर्यावरण संरक्षण और सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ाई है. कंपनी लगातार जैविक पहल और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है. पंत​जलि का दावा है कि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से स्थापित कंपनी आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए जानी जाती है. यह पर्यावरण को लेकर अपनी प्रतिबंधता पूरी तरह से निभा रही है. पतंजलि ने जैविक खेती को बढ़ावा दिया. इससे पर्यावरण और उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक बदलाव आया है.
पतंजलि का कहना है कि 'कंपनी ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (PORI) के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. यह संस्थान जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों का विकास करता है. ये रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करता है. इससे मिट्टी की उर्वरता को बढ़ती है. इससे जल और वायु प्रदूषण में कमी आती है. जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है. PORI ने 8 राज्यों में 8,413 किसानों को प्रशिक्षण देकर जैविक खेती की तकनीकों को अपनाने में मदद की है. यह पहल न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखता है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होती है.''
सूखे कचरे को खाद में बदला जाता है
पतंजलि का दावा है, 'कंपनी की सौर ऊर्जा पहल भी खास है. कंपनी ने सौर पैनल, इनवर्टर, और बैटरी को किफायती बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया. स्वामी रामदेव का विजन है कि हर गांव और शहर में 'पतंजलि एनर्जी सेंटर' को स्थापित किया जाए. इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकेगी. इसके साथ कंपनी ने अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर कदम उठाए हैं. पतंजलि यूनिवर्सिटी सूखे कचरे को खाद में बदलता है. गोबर से यज्ञ की पवित्र सामग्री तैयार होती है.'
पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग
पतंजलि का कहना है कि कंपनी की पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग और रासायन-मुक्त उत्पाद उपभोक्ताओं को स्वस्थ्य और सुरक्षित विकल्प को देती है. कंपनी की आयुर्वेदिक दवाएं, जैविक खाद्य पदार्थ और प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन न केवल स्वास्थ्य को बेहरत करती है. पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है. पतंजलि का दृष्टिकोण है कि सच्ची प्रगति तभी संभव है, जब हम अपने और पर्यावरण दोनों का ख्याल रखें.