क्या आपके आसपास कोई ऐसा है जो हमेशा मुस्कुराता है, लोगों के साथ घुलता-मिलता है, लेकिन अंदर से टूट चुका है? अगर हां, तो यह जानना जरूरी है कि अकेलापन अब सिर्फ भावनात्मक स्थिति नहीं, बल्कि एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में अकेलेपन को ग्लोबल हेल्थ थ्रेट यानी वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में घोषित किया था.
इसके लिए WHO ने बाकायदा एक अंतरराष्ट्रीय आयोग की स्थापना भी की, जो इस समस्या के समाधान पर काम कर रहा है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि दुनिया में हर छठा व्यक्ति अकेलापन महसूस कर रहा है. इसका मतलब है कि करोड़ों लोग भीड़ में होते हुए भी भीतर से बिल्कुल अकेले हैं.
अकेलेपन के खतरनाक परिणाम
विशेषज्ञों का मानना है कि अकेलापन सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य पर नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है. अमेरिका के एक हेल्थ एक्सपर्ट ने तो यहां तक कहा कि अकेलेपन का असर 15 सिगरेट प्रतिदिन पीने जितना घातक है. अकेलेपन से डिप्रेशन, एंग्जायटी, आत्महत्या की प्रवृत्ति और हृदय रोग जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि अकेलेपन की वजह से दुनिया में हर घंटे 100 लोगों की जान जा रही है. यह आंकड़ा बताता है कि यह समस्या अब नजरअंदाज करने लायक नहीं रही.
कोविड-19 ने बढ़ाई समस्या
कोरोना महामारी के दौरान जब दुनिया बंद हो गई, तब सामाजिक गतिविधियों पर ब्रेक लग गया. लोगों का एक-दूसरे से मिलना बंद हो गया, और कई लोगों को पहली बार अकेले रहने का असली अनुभव हुआ. इस दौर में मानसिक बीमारियों में बेतहाशा इजाफा हुआ, और अकेलेपन की दर कई गुना बढ़ गई.
अकेलेपन से युवा हैं प्रभावित
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 5% से 15% किशोर अकेलापन महसूस करते हैं. क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो अफ्रीका में यह आंकड़ा 12.7% है, जबकि यूरोप में 5.3% किशोर इससे जूझ रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि अगर कोई अकेलेपन का शिकार है तो उसे क्या करना चहिए?
- अकेलेपन को हल्के में न लें
- अपनों के साथ समय बिताएं
- मानसिक स्वास्थ्य की मदद लें
- सोशल मीडिया से दूर असली दुनिया में जुड़ें
अकेलापन एक खामोश महामारी की तरह है जो लोगों की मुस्कुराहट के पीछे छिपा होता है. इस पर बात करना, लोगों से जुड़ना और समय रहते मदद लेना बेहद जरूरी है. याद रखें, किसी के चेहरे की मुस्कान उसके दिल की हालत नहीं बताती.