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चिंता करने की आदत से ना हो परेशान, ये डिप्रेशन नहीं मोटिवेशन बढ़ाती है

अगली बार जब कोई आपको कहे कि चिंता कम किया करो, तो उसकी बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।

Updated on: 01 May 2017, 06:52 PM

highlights

  • चिंता आपको नया काम करने के लिए प्रेरणा देती है
  • यह भावनात्मक बफर के रूप में कार्य करता है

नई दिल्ली:

अगली बार जब कोई आपको कहे कि चिंता कम किया करो, तो उसकी बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों की माने तो चिंता करना आपकी सेहत के लिए अच्छा है। इस बात का खुलासा एक नई शोध से हुआ है। शोध के मुताबिक चिंता आपको दर्दनाक घटनाओं और अवसाद से बाहर लाती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली क्रियाओं में भी बढ़ोत्तरी होती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के साइकोलॉजी के प्रोफेसर केट स्वीनी ने कहा,' इसके नेगेटिव इमेज के बावजूद, सभी चिंताएं यहां तक विनाशकारी भी व्यर्थ नहीं हैं इसमें प्रेरक लाभ हैं, और यह भावनात्मक बफर के रूप में कार्य करता है। शोधकर्ताओं ने चिंता का निवारक और सुरक्षात्मक व्यवहार के लिए प्रेरित करने की भूमिका का पता लगाया।

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उन्होंने पाया कि चिंता दर्दनाक घटनाओं और अवसाद से बाहर निकालने में मदद करती है। इसके साथ ही उन्होंने पाया कि जो लोग ज्यादा चिंता करते है वो स्कूल और ऑफिस में ज्यादा अच्छा परफॉर्म करते है। तनावपूर्ण घटनाओं के जवाब में अधिक जानकारी प्राप्त करते है और अधिक सफल समस्या हल करने में संलग्न करते है। शोधकर्ताओं ने चिंता को प्रेरणादायी बताने के लिए तीन अर्थ निकाले है।

  • पहला, चिंता का मतलब होता है कि स्थिति गंभीर है और इस पर कार्रवाई की आवश्यकता है। लोग अपनी भावनाओं को जानकारी का स्रोत बनाकर फैसले लेते है।
  • दूसरा, तनावग्रस्तता के बारे में चिंता करने से एक व्यक्ति के दिमाग के सामने तनाव पैदा होता है और लोगों को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है।
  • तीसरा, चिंता की अप्रिय भावना लोगों को अपनी चिंता को कम करने के तरीके खोजने के लिए प्रेरित करती है।

स्वीनी ने कहा,' जिन परिस्थितियों में प्रयासों के नतीजे अच्छे नहीं होते है, चिंता बुरी खबर के लिए रेडीमेड प्रकिया तैयार रखती है। क्योंकि चिंता के कारण आप हमेशा प्लान बी के बारे में सोचते रहते है।' जो आपकी समस्या का समाधान ढूंढने में मदद करती है।'

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चिंता आपको भावनात्मक रूप से भी मदद करती है। कहने का मतलब है कि कोई भी अच्छा अनुभव बुरे अनुभव के बाद ही आता है। ऐसे में ये आपकी खुशी को बढ़ा देता है। ये शोध जर्नल सोशल एंड पर्सनालिटी साइकोलॉजी कंपास में छपी थी।