विश्व किडनी दिवस : Kidney की बीमारी को ठीक कर सकता है ये आयुर्वेदिक पौधा

आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा की है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है. गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
विश्व किडनी दिवस : Kidney की बीमारी को ठीक कर सकता है ये आयुर्वेदिक पौधा

World Kidney Day

आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा की है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है. गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं. साथ ही संक्रमण की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है. हाल ही में पुस्तिका 'इंडो-अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च' में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्नवा में गोखुरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा 'नीरी केएफटी' गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया और प्रोटीन को नियंत्रित करती है. क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ्य करने के अलावा यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है. नीरी केएफटी के सफल परिणाम भी देखे जा रहे हैं.

Advertisment

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ केएन द्विवेदी का कहना है कि रोग की पहचान समय पर हो जाने पर गुर्दे को बचाया जा सकता है. कुछ समय पहले बीएचयू में हुए शोध से पता चला है कि गुर्दा संबंधी रोगों में नीरी केएफटी कारगार साबित हुई है.

और पढ़ें: महिलाओं में किडनी की समस्या मौत का आठवां सबसे प्रमुख कारण

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. मनीष मलिक का कहना है कि देश में लंबे समय से गुर्दा विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। ऐसे में डॉक्टरों को एलोपैथी के ढांचे से निकलकर आयुर्वेद जैसी वैकल्पिक चिकित्सा को अपनाना चाहिए. आयुर्वेदिक दवा से अगर किसी को फायदा हो रहा है तो डॉक्टरों को उसे भी अपनाना चाहिए.

आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते माह केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय को देशभर में 12,500 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना करने की जिम्मेदारी सौंपी है. इन केंद्रों पर आयुष पद्धति के जरिए उपचार किया जाएगा. यहां वर्ष 2021 तक किडनी की न सिर्फ जांच, बल्कि नीरी केएफटी जैसी दवाओं से उपचार भी दिया जाएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि गुर्दा की बीमारी की पहचान के लिए होने वाली जांच को सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि मरीजों को शुरुआती चरण में ही उपचार दिलवाया जा सके.

एम्स के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. अग्रवाल का कहना है कि हर दिन 200 गुर्दा रोगी ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इनमें 70 फीसदी मरीजों के गुर्दा फेल पाए जाते हैं. उनका डायलिसिस किया जाता है। प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) ही इसका स्थायी समाधान है.

ये भी पढ़ें: ब्‍लड प्रेशर बढ़ा रहा आपके किडनी पर प्रेशर, कुछ गलत होने से पहले कर लें ये उपाय

प्रत्यारोपण वाले मरीजों की संख्या भी काफी है. इस समय एम्स में गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए आठ माह की वेटिंग चल रही है. यहां सिर्फ 13 डायलिसिस की मशीनें हैं, जो वार्डो में भर्ती मरीजों के लिए हैं. इनमें से चार मशीनें हेपेटाइटिस 'सी' और 'बी' के मरीजों के लिए हैं। एम्स में सप्ताह में तीन दिन गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि गुर्दा खराब होने पर मरीज को सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार डायलिसिस देना जरूरी है. मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. देश में सालाना 6,000 किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं इसलिए लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें: एक्सीडेंट या प्रेगनेंसी में अब नहीं होगा अत्‍यधिक रक्‍तस्राव, बचेगी लाखों की जान

यह भी जानिए-

- 1,200 गुर्दा विशेषज्ञ हैं देश में.

- 1,500 हीमोडायलिसिस केंद्र हैं देश में.

- 10,000 डायलिसिस केंद्र भी हैं.

- 80 फीसदी गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहे निजी अस्पतालों में.

- 2,800 गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं एम्स में.

Source : IANS

world kidney day health news herb plant kidney treatment of kidney
      
Advertisment