World Hemophilia Day 2019: हीमोफिलिया से पुरुष सबसे अधिक ग्रस्त, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

हीमोफिलिया रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है. इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अधिक मात्रा में खून का निकलना शुरू हो जाता है.

हीमोफिलिया रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है. इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अधिक मात्रा में खून का निकलना शुरू हो जाता है.

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Vineeta Mandal
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World Hemophilia Day 2019: हीमोफिलिया से पुरुष सबसे अधिक ग्रस्त, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

World Hemophilia Day 2019

हीमोफिलिया (Haemophilia) एक आनुवांशिक (hereditary) बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है. महिलाओं में इस बीमारी का खतरा बहुत कम होता है. वो ज्यादातर इस बीमारी के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक इकाइयों की वाहक की भूमिका निभाती हैं. दरअसल हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है. इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता.

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विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है. इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है.

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हीमोफिलिया रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है. इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अधिक मात्रा में खून का निकलना शुरू हो जाता है. इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.

पीड़ित रोगियों से पूछताछ करने पर बहुधा पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है. इस प्रकार यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है.

यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है. थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है. खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है.

हीमोफीलिया के प्रकार

हीमोफीलिया दो तरह का होता है, हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी. हीमोफीलिया ए और बी वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में लंबे समय तक रक्तस्राव (Bleeding) होता है. हीमोफीलिया ए और बी एक्स गुणसूत्र या X क्रोमोसोम द्वारा होता है. ये हम सब जानते हैं कि महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते है परन्तु पुरुषों में दो अलग-अलग प्रकार के X और Y क्रोमोसोम होते हैं.

क्रोमोसोम में ही हीमोफीलिया पैदा करने वाले जीन्स होते हैं. महिलाएं इस रोग की वाहक होती हैं. यानी बेटे में X क्रोमोसोम मां से मिलता और यदि X क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित हो तो बेटे को हीमोफीलिया हो जाएगा लेकिन बेटी में एक X क्रोमोसोम मां से मिलता है.

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यदि वो हीमोफीलिया से ग्रसित हो लेकिन पिता से आने वाला X क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित नहीं हो तो बेटी में यह बिमारी नहीं होगी. पिता से बच्चों में हीमोफीलिया अधिकतर नहीं होती है.

हीमोफीलिया के लक्षण-

- शरीर में नीले नीले निशानों का बनना.

- नाक से खून का बहना.

- आंख के अंदर खून का निकलना तथा जोड़ों (joints) की सूजन इत्यादि.

- जांच करने पर पता चला कि इस रोग में खून के थक्का होने का समय (clotting time) बढ़ जाता है.

हीमोफीलिया से बचने का उपाय-

1. फैक्‍टर 8 और 9 से पीड़ित लोग कहीं भी जाते समय ब्‍लीडिंग होने या ज्‍वाइंट डैमेज पर होने वाले नुकसानों से बचने के उपायों का इंतजाम करके चलें.

2. डॉक्‍टर का नंबर हमेशा आपने पास रखें.

3. हीमोफीलिया से पीड़ित व्‍यक्‍ति इससे जुड़ी जानकारी को हमेशा साथ लेकर चलें और समय-समय पर अपडेट होते रहें.

4. हेपेटाइटिस बी का वैक्‍सिनेशन जरूर लगवाएं.

5. एस्‍परिन या नॉन स्‍टेरॉयड दवा लेने से जहां तक संभव हो बचें.

6. हीमोफीलिया से पीड़ित महिला का बच्चा भी इस बीमारी का शिकार है तो उसका खास देखभाल रखें.

7. हीमोफीलिया से ग्रसित बच्चे को खेलते या साइकिल चलाते समय हेलमेट, एल्बो और नी पैड्स एवं प्रोटेक्टिव जूते पहनाकर रखें.

Source : News Nation Bureau

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