जानिए क्यों मनाया जाता है World Rose Day, क्या है इस दिन का इतिहास?

किसने सोचा था कि कैंसर के मरीजों के लिए भी एक खास दिन होना चाहिए, जिस दिन वे अपनी ताकत को और मजबूत कर सकें

किसने सोचा था कि कैंसर के मरीजों के लिए भी एक खास दिन होना चाहिए, जिस दिन वे अपनी ताकत को और मजबूत कर सकें

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Ravi Prashant
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World Rose Day 2023

वर्ल्ड रोज डे 2023( Photo Credit : pixabay.com)

वर्ल्ड रोज डे 22 सितंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस दिन कैंसर से लड़ रहे मरीजों को सलाम किया जाता है ताकि उन्हें अपनी भयानक बीमारी से लड़ने के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिले. वे सभी पूरी तरह से ठीक होने तक अपनी लड़ाई मजबूती से लड़ते रहे. वही मरीजों को प्रोत्साहित किया जाता है. अब सवाल यह है कि विश्व रोज डे की शुरुआत किसने की? तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि किसने सोचा था कि कैंसर के मरीजों के लिए भी एक खास दिन होना चाहिए, जिस दिन वे अपनी ताकत को और मजबूत कर सकें.

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इस वजह से वर्ल्ड रोज डे मनाया जाता है?

कनाडा की रहने वाली एक बच्ची मेलिंडा की याद में वर्ल्ड रोज डे मनाया जाता है. इस बच्ची की कहानी सुनकर आप दंग हो जाएंगे. मेलिंडा को 12 साल की उम्र में ब्लड कैंसर हो गया था यानि आप समझ सकते हैं कि बल्ड कैंसर कितना भयानक बीमारी होता है. बच्ची की स्थिति इतनी तेजी से खराब हो गई कि डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी. डॉक्टरों की टीम ने कहा कि मेलिंडा अब ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है. 

मेलिंडा ने डॉक्टर की टीम को गलत साबित किया

अब उसके पास कुछ ही दिन बचे है. डॉक्टर ने कहा कि मेलिंडा के पास महज 2 हफ्ते है. सभी ने हार मान लिया था लेकिन 12 साल की मेलिंडा के इरादे मजबूत थे कि उसने लड़ना है. जिस डॉक्टर ने कहा था कि बस दो हफ्ते बचे है. वो गलत साबित हुआ. मेलिंडा लगभग 6 महीने तक जीवित रही. इस दौरान सभी से प्यार किया है.

उसने अपना समय कविताएँ, नोट्स लिखने और अपने आस-पास के लोगों को खुश करने में बिताया. मेलिंडा, जो 2 सप्ताह तक जीवित रहने वाली थी, वो 6 महीने तक जीवित रहीं. हालांकि मेलिंडा की सितंबर महीने में मौत हो गई. यहीं से वर्ल्ड रोज डे की शुरुआत हुई.

किसी कैंसर पीड़ित व्यक्ति को रोज दें

इस दिन कैंसर से पीड़ित लोगों को हर दिन एक संदेश दिया जाता है ताकि वे अपनी लड़ाई में अकेले महसूस न करें. अगर आपके आसपास कोई ऐसी बीमारी से लड़ा रहा है तो आप उस व्यक्ति रोज जरुर दें. आप देखना उसके आंखों में आंसु जाएंगे. एक रोज की ताकत इतनी होती है कि पीड़ित व्यक्ति को मजबूती मिलती है कि वो इस लड़ाई में अकेले नहीं उसके साथ कई लोग हैं.

HIGHLIGHTS

  • मेलिंडा की याद में वर्ल्ड रोज डे
  • 12 साल की बच्ची कैंसर हुआ
  • यहीं से वर्ल्ड डे की शुरुआत हुई

Source : News Nation Bureau

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