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आखिर लोग क्‍यों कर लेते हैं खुदकुशी, अगर आपके जानने वाले में दिखे यह लक्षण तो हो जाएं सावधान

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति अपनी जान ले लेता है.

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Drigraj Madheshia
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आखिर लोग क्‍यों कर लेते हैं खुदकुशी, अगर आपके जानने वाले में दिखे यह लक्षण तो हो जाएं सावधान

प्रतिकात्‍मक चित्र

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World Suicide Prevention Day: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या (Suicide) करते हैं. यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति अपनी जान ले लेता है. WHO की ओर से आत्महत्या (Suicide) पर जारी ग्लोबल डाटा के मुताबिक आत्महत्या (Suicide) करने वालों में 15 से 29 साल के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है. खुदकुशी या आत्महत्या (Suicide) के बारे में लोग अक्सर बात करने से हिचकते हैं. ऐसे में होता यह है कि जो लोग खुदकुशी करने के विचारों या जज़्बात से जूझ रहे होते हैं, वो किसी से बात नहीं कर पाते और खुद को अकेला महसूस करते हुए खुदकुशी के विकल्प को आखिरी हल मान बैठते हैं.

आत्महत्या (Suicide) के मामलों से जुड़ा एक बड़ा तथ्य यह भी है कि ये रास्ता इख्तियार करने वाले लोगों की बातों या बर्ताव में कुछ लक्षण देखे जाते हैं, जो वास्तव में संकेत होते हैं. लेकिन समाज जिस तरह इस विषय को दरकिनार करता है, ऐसे संकेतों के बारे में भी हम जागरूक नहीं हो पाते. ताज़ा मामले में सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ की खुदकुशी की खबरें चर्चा में हैं. आप भी जानते हैं कि खुदकुशी की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी रहती हैं.

क्या ये माना जा सकता है कि तनाव, चिंता, हताशा या निराशा जैसे लक्षण इन केसों में देखने को नहीं मिले थे! अगर ये संकेत समझे जाते तो क्या इन्हें बचाया नहीं जा सकता था? कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक-चेयरमैन वी.जी. सिद्धार्थ की संदिग्‍ध हालात में मौत और उनका सुसाइड नोट इस बात पर हमें सोचने को मजबूर करती है कि पैसा हर समस्या का समाधान है लेकिन ऐसा नहीं है. बड़ा कारोबार बड़ी देनदारियां और बड़ा तनाव भी लाता है. ऐसी ही धारणाएं और उनसे जुड़े तथ्य जानिए.

खुदकुशी के बारे में आए विचार तो खुलकर बातें करें

अगर आपको खुदकुशी करने जैसे विचार आते हैं या आपके किसी करीबी को, जिसे आप ऐसे खयालों से छुटकारा दिलाना चाहते हैं, तो सबसे ज़रूरी यही है कि इस बारे में बातचीत करें. अगर इस बारे में खुलकर बात नहीं की, तो आप अपने खयालों में उलझते जाएंगे.आप अलग थलग या अकेला महसूस करने लगेंगे और आपको मदद मिलने के रास्ते बंद हो जाएंगे.

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नाउम्मीदी या हताशा 

जब आप किसी दुख, तनाव, नाउम्मीदी या हताशा से गुज़र रहे होते हैं तो मन में बार-बार खुदकुशी के खयाल आते हैं. आपको बहुत सारे ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन खुदकुशी नहीं की और ये भी एक तथ्य है कि जितने लोगों ने खुदकुशी की है, सभी मानसिक समस्याओं से नहीं जूझ रहे थे.

खुदकुशी की बार-बार बातें करने वालों को काउंसलिंग की जरूरत

खुदकुशी के खयालों से अगर कोई पीड़ित रहा है और हालात बदलने के बाद वह सामान्य हुआ है, तो मुमकिन है कि बाद में फिर ऐसे कदम उठा ले. खुदकुशी के लिए प्रेरित होने वाले खयाल स्थायी नहीं होते, ये हालात पर निर्भर करते हैं और ये भी ज़रूरी नहीं कि इन खयालों के चलते हर हाल में कोई खुदकुशी कर ही ले.

सही समय पर मदद की जरूरत

खुदकुशी की एक कोशिश के बाद कुछ ने स्पष्ट तौर पर माना कि वो आगे जीना चाहते हैं और ज़्यादातर ने खुदकुशी की एक कोशिश के बाद कभी दूसरी कोशिश नहीं की. अगर सही समय पर मदद मिल जाए, तो इस मुश्किल से छुटकारा संभव है.

ज़्यादातर मामलों में कोई संकेत नहीं मिलता

खुदकुशी करने वाले ज़्यादातर लोगों की बातों या व्यवहार में कुछ हफ्तों पहले से कुछ संकेत साफ दिखे. कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें खुदकुशी को लेकर कोई विचार नहीं किया जाता, किसी क्षणिक आवेग में जान दे दी जाती है. लेकिन, ऐसे मामलों में भी खुदकुशी से ठीक पहले एक खास किस्म की चिंता, तनाव, हताशा या इस तरह का कोई और लक्षण ज़रूर दिखता है. ऐसे संकेतों को समय रहते समझा जाए और उनका निदान किया जाए.

Source : News Nation Bureau

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