दुनिया के जिन देशों में खतना-प्रथा प्रचलित है, वहां अगर यह प्रथा इसी प्रकार चलती रही तो 2030 तक 6.8 करोड़ लड़कियां खतने का शिकार बन सकती हैं. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का आकलन है. समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, छह फरवरी को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय महिला जननांग खतना पूर्ण असहिष्णुता दिवस घोषित किया है. इस अवसर, पर डब्ल्यूएचओ ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से महिला जननांग खतना के खिलाफ कदम उठाने की अपील की. संगठन ने आगाह किया कि जहां यह प्रथा प्रचलित है, वहां लड़कियों को इसका ज्यादा खतरा है।.
डब्ल्यूएचओ ने इस अवसर पर एक ट्वीट के जरिए कहा, 'महिला जननांग का खतना किए जाने से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का हनन होता है. इसे अब अवश्य रोका जाना चाहिए.'
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डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने जेनेवा में कहा, 'संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुनिश्चित की गई तिथि छह फरवरी यह याद दिलाती है कि महिला जननांग खतना की प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है, क्योंकि इससे 20 करोड़ महिलाएं और लड़कियां प्रभावति हैं.'
अफ्रीका, मध्यपूर्व और एशिया के करीब 30 देशों में अधिकांश लोग इससे प्रभावित हैं, जहां इसका प्रचलन वहां की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में शामिल है.
Source : IANS