दुनिया में Omicron का बढ़ा खतरा, जानें WHO ने क्या दी चेतावनी
WHO के महानिदेशक ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट ने कुछ देशों को अपनी संपूर्ण वयस्क आबादी के लिए कोरोना बूस्टर कार्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर किया, जबकि हमारे पास इस बात के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं कि कोरोना के इस नए वेरिएंट के खिलाफ बूस्टर कितना असरदार.
नई दिल्ली:
कोरोना महामारी के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक दुनिया के 77 देशों में हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को जानकारी दी है कि ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है. डब्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ए घेब्रेयेसस ने आज बताया कि 77 देशों ने अब तक ओमिक्रॉन के मामलों की सूचना दी है और वास्तविकता यह है कि ओमिक्रॉन शायद ज्यादातर देशों में है, भले ही अभी तक इसका पता नहीं चला है. उन्होंने आगे कहा कि ओमिक्रॉन उस तेजी से फैल रहा है जिसे हमने कोरोना के किसी पिछले वेरिएंट के साथ नहीं देखा है.
आपको बता दें, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ए घेब्रेयेसस ने ओमिक्रॉन के खिलाफ बूस्टर डोज को लेकर भी बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट ने कुछ देशों को अपनी संपूर्ण वयस्क आबादी के लिए कोरोना बूस्टर कार्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर किया, जबकि हमारे पास इस बात के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं कि कोरोना के इस नए वेरिएंट के खिलाफ बूस्टर कितना असरदार है.
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जबकि दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की जॉच एजेंसियों ने बूस्टर डोज जैसे कार्यक्रमों पर चिंता जाहिर की है. जॉच एजेंसियों का कहना है कि बूस्टर डोज जैसे कार्यक्रमों से जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा. विश्व स्वास्थ्य के डीजी ने कहा कि संस्था को इस बात की चिंता है कि इस तरह के कार्यक्रम कोविड-19 वैक्सीन की जमाखोरी को दोहराएंगे जो हमने इस साल देखी थी. इसके साथ ही असमानता को भी बढ़ावा मिलेगा. यह स्पष्ट है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, बूस्टर एक अहम भूमिका निभा सकता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनके ऊपर गंभीर बीमारी की वजह से मृत्यु का सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है.
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उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत स्पष्ट कर दूं, डब्ल्यूएचओ बूस्टर डोज के खिलाफ नहीं है. हम असमानता के खिलाफ हैं. हमारी मुख्य चिंता हर जगह लोगों की जान बचाना है.
कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कई बार म्यूटेशन का नतीजा है. कोविड के अधिक संक्रामक स्वरूप बी.1.1.1.529 के बारे में पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन को बताया गया था.
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