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भारत में बच्चों के लिए कब आएगी कोरोना वैक्सीन? एम्स निदेशक ने बताई ये तारीख

Bharat Biotech Covaxin trials : देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब धीमा पड़ता जा रहा है. इस बीच बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है.

Updated on: 24 Jul 2021, 10:36 AM

highlights

  • देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर पड़ा धीमा 
  • भारत में सितंबर तक बच्चों के लिए वैक्सीन आने की उम्मीद
  • स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक को-वैक्सीन का कर रही ट्रायल

नई दिल्ली:

Bharat Biotech Covaxin trials : देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब धीमा पड़ता जा रहा है. इस बीच बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (AIIMS Director Dr Randeep Guleria) ने जानकारी देते हुए कहा कि स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक बच्चों के लिए पहली एंटी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही है. भारत में सितंबर तक बच्चों के लिए वैक्सीन आने की उम्मीद जताई जा रही है. आपको बता दें कि दिल्ली में 6 से 12 साल के बच्चों को वैक्सीन की दूसरी डोज पहले ही दी जा चुकी है.

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आपको बता दें कि डॉ. रणदीप गुलेरिया ने पिछले दिनों कहा था कि बच्चों के लिए कोविड-19 टीकों की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाने के बाद स्कूल खुलने और उनके लिए बाहर की गतिविधियों का रास्ता साफ होगा. भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के दो से 18 साल आयुवर्ग के बच्चों पर किए गए दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों के सितंबर तक आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि औषधि नियामक की मंजूरी के बाद भारत में उस समय के आसपास बच्चों के लिए टीके उपलब्ध हो सकते हैं. उन्होंने तीसरी लहर के ज्यादा खतरनाक होने की आशंका से इनकार किया.

उन्होंने कहा था कि उससे पहले अगर फाइजर के टीके को मंजूरी मिल गई तो यह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला अपनी वैक्सीन जायकोव-डी को इमर्जेंसी यूज की इजाजत के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के सामने आवेदन कर सकती है. कंपनी का दावा है कि इस वयस्कों और बच्चों दोनों को दिया जा सकता है.

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डॉ. गुलेरिया ने कहा, इसलिए, अगर जायडस के टीके को मंजूरी मिलती है तो यह भी एक और विकल्प होगा. उन्होंने कहा कि बच्चों में हालांकि, कोविड-19 संक्रमण के हल्के लक्षण होते हैं और कुछ में लक्षण भी नहीं होते, लेकिन वे संक्रमण के वाहक हो सकते हैं. 

बीते डेढ़ साल में कोविड-19 महामारी के कारण पढ़ाई में हुए व्यापक नुकसान का हवाला देते हुए एम्स प्रमुख ने कहा था कि स्कूलों को फिर से खोलना होगा और टीकाकरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उन्होंने कहा कि महामारी से उबरने का रास्ता टीकाकरण ही है. सरकार ने हाल में चेताया था कि कोविड-19 ने अब तक भले ही बच्चों को बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं किया हो लेकिन अगर वायरस के व्यवहार या महामारी की गति में बदलाव आता है तो यह बढ़ सकता है. उसने कहा कि ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां की जा रही हैं.