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क्या है पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, कैसे ये बन सकती है आपके लिए जानलेवा

खासकर शारीरिक गतिविधियों के बाद. इस रोग के संभावित लक्षणों को नकारात्मक प्रभाव से संबंधित चिकित्सा देखभाल के लिए डॉक्टर से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

Updated on: 25 Jan 2024, 05:15 PM

नई दिल्ली:

Peripheral Artery Disease: पेरिफेरल आर्टरी डिजीज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के बाहरी धमनियों में (पेरिफेरल आर्टरीज) रक्त संचार में समस्या होने लगती है. इस बीमारी के दौरान लोगों को आधिकांश रूप से किसी चीज की कमी या दर्द के रूप में दिखाई देती है. आमतौर पर देखा जाता है कि पैरों, हाथों, पेट के आसपास या पीठ में होती है. पेरिफेरल आर्टरी डिजीज होने के कई कारणों से हो सकती है. इसमें धूम्रपान,बढ़ती उम्र,अधिक वजन, अनहेल्दी खाना और फिजीकल ए्क्टिविटि में कमी. इसके कारण पेरिफेरल आर्टरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है और अधिक गंभीरता से जानलेवा भी हो सकती है. इस दौरान धमनियों का ब्लॉकेज या अर्थरोस्क्लेरोसिस (धमनियों की दीवारों पर फैट का जमाव). इस स्थिति का सबसे बड़ा लक्षण चलने के दौरान दर्द, ठंडा होना, या चंद्रकांता महसूस करना होता है. खासकर शारीरिक गतिविधियों के बाद. इस रोग के संभावित लक्षणों को नकारात्मक प्रभाव से संबंधित चिकित्सा देखभाल के लिए डॉक्टर से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

पेरिफेरल आर्टरी डिजीज़ का इलाज

दवाओं का इस्तेमाल: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का इस्तेमाल करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें खून को पतला करने वाली दवाएं, पेशाब के प्रोटीनस्ट्रोयड्स, और एंटीक्लटिंग दवाएं शामिल हो सकती हैं.

स्थायी बदलाव: इस बीमारी से बचने के लिए हेल्दी फूड, नियमित व्यायाम और धूम्रपान छोड़ने जैसी आदतों से बचना चाहिए.ये आपके हेल्दी जीवनशैली के लिए और इस बीमारी से बचने के लिए परमानेंट बदलाव हो सकता है. इससे इस बिमारी का खतरा कम हो जाएगा.

थेरेपी: ऐसा देखा जाता है कि कई मामलों में दवाओं के साथ थेरेपी का उपयोग किया जाता है. इसमें कंट्रास्ट बाथी थेरेपी, निर्देशित विशेषज्ञ की शैक्षिक व्यवस्था, और वायरस संक्रमण के लिए और बेहतर रक्त संचार के लिए व्यायाम और व्यायाम.

सर्जरी: कुछ केस में पाया गया है कि गंभीर मामलों में जब धमनियों में ब्लॉकेज हो जाती है. ऐसे में इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर ब्लॉकेज को पूरी तरह से हटाने के लिए या जमा फैट को कम करने के लिए सर्जरी का सहारा लेते हैं. इससे समस्या पूरी तरह से हट जाती है. हालांकि इसे किसी विशेषज्ञ के पास ही कराएं.

समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श करना और उनके द्वारा निर्धारित उपचार का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी उपचार को शुरू या बंद नहीं करना चाहिए.