Leprosy Disease: लेप्रोसी क्या है जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

Leprosy Disease: लेप्रोसी का उपचार अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों हो सकता है. यह शामिल कर सकता है दवाओं का सेवन, अंशत: रोगी को समर्थ करने और जीवन का अध्ययन करने के लिए, और समुचित स्वच्छता और पोषण का ध्यान रखना.

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Inna Khosla
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leprosy disease( Photo Credit : News Nation)

Leprosy Disease: लेप्रोसी, जिसे हिंदी में कुष्ठ रोग भी कहा जाता है, एक भ्रांति है जो बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्राई  के कारण होती है. यह रोग त्वचा, नस, और नासिका को प्रभावित करता है और आमतौर पर उंगलियों और पैरों में सूजन, कठोरता, और छाले के रूप में लक्षण प्रकट करता है. लेप्रोसी के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: मुख्यत: टुबरकुलॉयड लेप्रोसी (एटीएल) और लेप्रोमेटिक लेप्रोसी (एलडीएल). एटीएल में, छाले और बड़ी दाद के लक्षण होते हैं, जबकि एलडीएल में, नसों और नसिका की प्रभावितता अधिक होती है. यह रोग विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि रोगी के प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी, वातावरणीय कारक, और गर्भावस्था. लेप्रोसी का उपचार अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों हो सकता है. यह शामिल कर सकता है दवाओं का सेवन, अंशत: रोगी को समर्थ करने और जीवन का अध्ययन करने के लिए, और समुचित स्वच्छता और पोषण का ध्यान रखना. उच्च स्तरीय समर्थन और जागरूकता के साथ, लेप्रोसी का प्रभाव प्रभावित किया जा सकता है और इसकी प्रारंभिक पहचान से बचा जा सकता है. 

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कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग (एचडी) या हैनसेनिएसिस के रूप में भी जाना जाता है, एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो धीमी गति से बढ़ने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्री या माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमैटोसिस के कारण होता है. यह मुख्य रूप से परिधीय तंत्रिका तंत्र, त्वचा, आंखों और शरीर के अन्य ऊतकों जैसे रेटिकुलो-एंडोथेलियल सिस्टम, हड्डियों और जोड़ों, श्लेष्मा झिल्ली, आंखों, मांसपेशियों, वृषण और अधिवृक्क को प्रभावित करता है.

कुष्ठ रोग के कारण: कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह बैक्टीरिया कुष्ठ रोग वाले लोगों के साथ लंबे संपर्क से फैलता है. आपको कुष्ठ रोग केवल लापरवाही से छूने या बीमारी वाले किसी व्यक्ति के पास से गुजरने से नहीं होता है. इसके अलावा, आर्मडिलोस से कुष्ठ रोग हो सकता है. कुछ लोग इसे आर्मडिलोस के संपर्क से प्राप्त करते हैं.
ज़्यादातर लोग जो संक्रमित होते हैं, उन्हें कोई लक्षण नहीं होते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली यह आपको बीमारी और संक्रमण से बचाने में मदद करता है. 

कुष्ठ रोग के लक्षण: त्वचा पर लालिमा, सूजन या खुजली,त्वचा पर चकत्ते, धब्बे या घाव, त्वचा का रूखापन, फटना या छीलना, त्वचा में दर्द या जलन, बालों का झड़ना, नाखूनों का मोटा होना या विकृत होना, सुन्नता या झुनझुनी, मांसपेशियों की कमजोरी, आंखों की समस्याएं

कुष्ठ रोग का इलाज: कुष्ठ रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के एक संयोजन के साथ किया जाता है. यह संयोजन आमतौर पर डैप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमाइन नामक दवाओं से बना होता है. इलाज की अवधि संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करती है. कुष्ठ रोग का इलाज लंबा हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर सफल होता है. 

कुष्ठ रोग को रोकने के लिए: कुष्ठ रोग वाले लोगों के साथ संपर्क से बचें. अगर आपको लगता है कि आप कुष्ठ रोग के संपर्क में आ गए हैं, तो डॉक्टर से बात करें. स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुष्ठ रोग संक्रामक नहीं होता है. अगर आपको कुष्ठ रोग के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से बात करें. वे आपके लक्षणों का निदान कर सकते हैं और उपचार के एक पाठ्यक्रम की सिफारिश कर सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

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