Kerala West Nile Fever: भारत में वेस्ट नाइल बुखार का पहला मामला 1996 में दिल्ली में सामने आया था. इसके बाद, 2001 में केरल में वेस्ट नाइल बुखार का एक बड़ा प्रकोप हुआ था. 2024 में, केरल में वेस्ट नाइल बुखार के पांच मामले सामने आए हैं. यह पहली बार है जब केरल में वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित मामले सामने आए हैं. वेस्ट नाइल बुखार एक गंभीर बीमारी हो सकती है, खासकर बुजुर्गों, कमजोर और बीमार लोगों के लिए. आप वेस्ट नाइल बुखार के खतरे वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो मच्छरों से बचाव के लिए सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है.
वेस्ट नाइल बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है जो क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और कुछ मामलों में मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस शामिल हैं. यह बीमारी गंभीर हो सकती है, खासकर बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए. स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए कदम उठाए हैं और लोगों को मच्छरदानी का उपयोग करने, त्वचा को ढंकने वाले कपड़े पहनने और खुले पानी के जमाव को रोकने का आग्रह किया है.
केरल राज्य के तीन जिलों - कोल्लम, पठानमथिट्टा और अलाप्पुझा में अब तक पांच मामले सामने आ चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इन जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है.
वेस्ट नाइल बुखार क्या है ?
वेस्ट नाइल बुखार दुनिया भर में पाया जाता है, लेकिन यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक आम है. वेस्ट नाइल बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है जो वेस्ट नाइल वायरस के कारण होती है. यह वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है. अधिकांश लोगों में वेस्ट नाइल बुखार के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. गंभीर मामलों में, वेस्ट नाइल बुखार मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस का कारण बन सकता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है.
वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण
अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन कुछ लोगों में हल्के या गंभीर लक्षण हो सकते हैं. बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, त्वचा पर लाल चकत्ते, मतली और उल्टी इसके कुछ लक्षण हैं. इसके अलावा, गंभीर लक्षणों में मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों की सूजन), एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), मायलाइटिस (रीढ़ की हड्डी की सूजन), मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी दोनों की सूजन) शामिल हैं. इन गंभीर मामलों में लोगों को तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, भ्रम, कमजोरी, दौरे, कोमा इनमें से कुछ भी हो सकता है. अगर आपको वेस्ट नाइल बुखार के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना महत्वपूर्ण है.
वेस्ट नाइल बुखार से बचाव और इलाज
वेस्ट नाइल बुखार का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है. हल्के मामलों का इलाज आराम और तरल पदार्थों के सेवन से किया जाता है. गंभीर मामलों में, अस्पताल में भर्ती आवश्यक हो सकती है. वेस्ट नाइल बुखार से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है मच्छरों के काटने से बचना. इसके लिए आप, मच्छर भगाने वाली क्रीम का उपयोग करें जिसमें DEET, पिकारिडिन या IR3535 शामिल हो.
लंबी बाजू की शर्ट और पतलून पहनें. बाहर जाते समय टोपी और दस्ताने पहनें. खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं. अपने घर के आसपास खड़े पानी को हटा दें, जैसे कि पक्षियों के स्नान और पुराने टायर. वेस्ट नाइल बुखार एक गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन इसे रोकने के लिए आप कदम उठा सकते हैं. मच्छरों से खुद को बचाकर, आप वेस्ट नाइल बुखार से संक्रमित होने के जोखिम को कम कर सकते हैं.
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Source : News Nation Bureau