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वैक्सीन ने रोका संक्रमण, केवल इतने प्रतिशत को जाना पड़ा अस्पताल: ICMR

ICMR के अनुसार, ये स्टडी पूरे भारत में की गई है. इस दौरान वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले 677 लोगों को ट्रैक किया गया. ये सारे लोग 17 अलग-अलग राज्यों से थे. इसमें सिर्फ 67 (9.8%) लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ी.

Updated on: 17 Jul 2021, 08:37 AM

highlights

  • देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे है
  • कोरोना की वैक्सीन बेहद असरदार है और किसी की जान बचाने के लिए बेहद जरूरी है
  • संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान तेजी से चल रहा है

नई दिल्ली:

देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे है. साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान तेजी से चल रहा है. वहीं, टीकाकरण को लेकर दुनिया भर में रिसर्च हो रहे हैं. वैक्सीन पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी एक स्टडी की है. इस स्टडी के अनुसार, वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बावजूद कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में से सिर्फ 10 फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) स्टडी में सबसे अहम बात यह सामने आई की ऐसे लोगों को ऑक्सिजन और आईसीयू की भी जरूरत नहीं पड़ी. जिन्होंने कोरोना का टीका लगवा लिया था.

बस 10% को जाना पड़ा अस्पताल

ICMR के अनुसार, ये स्टडी पूरे भारत में की गई है. इस दौरान वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले 677 लोगों को ट्रैक किया गया. ये सारे लोग 17 अलग-अलग राज्यों से थे. इसमें सिर्फ 67 (9.8%) लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ी, जबकि सिर्फ 3 लोगों की इसमें से मौत हुई. ज्यादातर ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के थे. डॉक्टर समीरन पांडा के मुताबिक ये डेटा दिखाते हैं कि वैक्सीन लेने से हॉस्पिटल और मौत की दर में कमी आ रही है.

कोरोना की वैक्सीन बेहद असरदार है और किसी की जान बचाने के लिए बेहद जरूरी है

ICMR की इस स्टडी से कहा जा सकता है कि कोरोना की वैक्सीन बेहद असरदार है और किसी की जान बचाने के लिए बेहद जरूरी है. आईसीएमआर के इपिडिमिलॉजी और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'ये बेहद महत्वपूर्ण है, और रोग और मृत्यु दर की गंभीरता को कम करने में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है. बता दें कि वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद जिन्हें कोरोना संक्रमण होता है उन्हें विज्ञान की भाषा में 'ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन' कहा जाता है.