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वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद अब बूस्टर डोज के लिए लोग हो रहे बेचैन, जानें वजह

भारत में भी लोग अब बूस्टर डोज देने की बात रहे हैं. बहुत तादात में लोग कोरोना वैक्सीन के तीसरे डोज लेने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं या फिर इंक्वारी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात की जांच कर रहे हैं कि तीसरा डोज कब लेना चाहिए.

Updated on: 29 Aug 2021, 09:34 AM

नई दिल्ली :

किलर कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन नामक हथियार का प्रयोग होने लगा है. लेकिन इस हथियार को लेकर एक और मांग उठने लगी है. कोरोना वैक्सीन के अमूमन दो डोज लग रहे हैं. लेकिन पूरी दुनिया में तीसरा बूस्टर डोज देने की मांग उठ रही है. भारत में भी लोग अब बूस्टर डोज देने की बात रहे हैं. बहुत तादात में लोग कोरोना वैक्सीन के तीसरे डोज लेने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं या फिर इंक्वारी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात की जांच कर रहे हैं कि तीसरा डोज कब लेना चाहिए. वहीं लोगों को डर है कि लंबे वक्त होने की वजह से उनके अंदर का एंटीबॉडी खत्म ना हो जाए. इसलिए वो तीसरी डोज लेना चाहते हैं. 

एक निजी अस्पताल के संयुक्त प्रबंधक निदेशक ने बताया कि उनके पास ऐसे लोग आ रहे हैं जिन्होंने पहले कोविडशील्ड लिया है और अब कोवैक्सीन लेना चाहते हैं. लेकिन इसके अलग हमारे पास mRNA के टीके मौजूद नहीं है. 

सवाल यह है कि क्या इतनी बड़ी आबादी वाले देश में तीसरा डोज लोगों को मिलना मुमकीन है. फिलहाल हेल्थ एक्सपर्ट इस बात की जांच कर रहे हैं कि बूस्टर डोज कितना कारगर और इसे लेने का सही वक्त क्या है.

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अमेरिका में बूस्टर डोज लेने की मंजूरी लेकिन..

वहीं अमेरिका ने अपने लोगों को तीसरी डोज लेने के लिए 8 महीने इंतजार करने को कहा है. शीर्ष अमेरिकी सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस सप्ताह घोषणा की कि सभी अमेरिकियों को सितंबर के तीसरे सप्ताह से बूस्टर शॉट मिल सकता है. संघीय मार्गदर्शन में कहा गया है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के वयस्क अपनी दूसरी खुराक के आठ महीने बाद फाइजर या मॉडर्न की एक और खुराक के लिए योग्य होंगे.

भारत सरकार दिसंबर तक सभी को दो डोज देने के पक्ष में 

इधर भारत सरकार की पहली प्राथमिकता दिसंबर तक देश के सभी वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज उपलब्ध कराने की है. उसके बाद ही तीसरी डोज पर विचार किया जाएगा.

कोरोना के खिलाफ सरकार की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया हाउस को बताया है कि दुनिया में कई विज्ञानी बूस्टर डोज की जरूरत पर बल दे रहे हैं. कई देशों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण के बावजूद कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इसकी जरूरत भी महसूस की जा रही है.

बूस्टर डोज लगाने के पीछे का तर्क

इसके लिए सबसे बड़ा तर्क यह दिया जा रहा है कि वैक्सीन के कारण शरीर में बनी एंडीबाडी लगभग तीन से छह महीने में समाप्त हो जाती है और वह व्यक्ति आसानी से कोरोना संक्रमित हो सकता है. इसलिए लोग अब तीसरी डोज लेना चाहते हैं.