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स्मार्टफोन की टचस्क्रीन कर रही है आपके बच्चे की नींद खराब

टचस्क्रीन स्मार्टफोन आज हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके है। जो सिर्फ हमारे ही नहीं हमारे बच्चों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक है।

Updated on: 14 Apr 2017, 11:30 AM

नई दिल्ली:

टचस्क्रीन स्मार्टफोन आज हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके है। जो सिर्फ हमारे ही नहीं हमारे बच्चों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक है। स्मार्टफोन की स्क्रीनलाइट हमारे बच्चों के नींद से जुड़े हार्मोंस को प्रभावित करते है। आजकल बच्चों को गेम खेलने और मन बहलाने के लिए अक्सर पैरेंट्स उन्हें अपने स्मार्टफोन पकड़ा देते है।

बर्कबेक, यूनीवर्सिटी ऑफ लंदन और किंग्स कॉलेज लंदग के अनुसार यूके में 6 महीने से 3 साल तक की उम्र के तीन तिहाई बच्चे आईपैड और स्मार्टफोन का प्रयोग करते है।

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शोधकर्ता टिम स्मिथ के अनुसार,' इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से निकलने वाली लाइट वयस्कों के स्लीप-रेगुलेटिंग हार्मोन मेलेटनिन के निचले स्तर पर दिखाती है। यही समस्या बच्चों के साथ हो सकती है। जिससे उनकी नींद बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा हालांकि स्मार्टफोन का प्रयोग बच्चों मोटर स्किल्स को बढ़ाता है।

स्मिथ और उनके साथियों ने 715 पैरेंट्स को एक ऑनलाइन सर्वे भेजकर उनके बच्चों के डेली फोन के प्रयोग और नींद के बारे में जानकारी ली था। उन्होनें पाया कि टचस्क्रीन पर बिताया हर घंटा उनके बच्चे की 16 मिनट की नींद को प्रभावित कर देता है। 

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स्मिथ के अनुसार, लाइट की वेवलेंथ शाम और रात के समय मिलने वाली सामान्य नहीं होती है। ऐसे में नींद के लिए जरूरी मेलाटोनिन पर दबाव पड़ने लगता है। ये बच्चों के व्याकुलता और उत्साह के स्तर को बढ़ा देता है। मैलेटोनिन एक प्रकार का हार्मोन है जो सोने-जागने के स्वाभाविक चक्र को नियंत्रित करता है।

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वर्तमान अध्ययन में उन आंकड़ों को अलग कर दिया गया था जिनमें टेलीवीज़न, कंप्यूटर या विद्युत-चुंबकीय विकिरण के अन्य स्रोतों से संपर्क का मापन किया गया था। नींद ठीक से पूरी ना होने से बच्चे ठीक से नहीं खाते। बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ने लगती है। उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।