इन तरीकों से करे अपनी किडनी की संभाल, डायलिसिस कराने वालों की संख्या में 10 फीसदी की बढोत्तरी

यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।

यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।

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Aditi Singh
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इन तरीकों से करे अपनी किडनी की संभाल, डायलिसिस कराने वालों की संख्या में 10 फीसदी की बढोत्तरी

देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है। किडनी रोग से बचने के लिए नीचे दिए गए टिप्स प्रभावशाली हो सकते है।

  • मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए। फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे। वहीं उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है। ऐसे में बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे।
  • अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें। प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।
  • प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं। धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।
  • सामान्य दवाएं जैसे इबूफ्रोबिन से किडनी खराब होने का डर रहता है।

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गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

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Source : IANS

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