कोलेस्ट्रोल स्वस्थ्य इंसान के लिए नहीं खतरनाक, अमेरिका 40 दशक पुरानी चेतावनी वापस लेगा
कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन को लेकर अमेरिका में सरकारी चेतावनी 40 सालों से चली आ रही थी. जिसे अब वापस ले लिया जाएगा.
नई दिल्ली :
अमेरिका चार दशक तक कोलेस्ट्रोल को कोसता रहा. अब वो इसे कोसना छोड़ने का फैसला लिया है. अमेरिका के शीर्ष पोषण सलाहकार पैनल ने कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन खाने के बारे में जो चेतावनी देते थे उसे वापस लेने की बात की है. कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन को लेकर अमेरिका में सरकारी चेतावनी 40 सालों से चली आ रही थी. जिसे अब वापस ले लिया जाएगा. अमेरिका ने अब कह दिया है कि खून में कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खाने पीने से कोई संबंध नहीं होता. न कोई अच्छा कोलेस्ट्रोल होता है और न बुरा, और न ही इसका दिल के रोगों से कोई लेना देना है. अमेरिका ने पांच साल पहले इस पैनल को गठित किया था जो कोलेस्ट्रोल को लेकर अपनी रिपोर्ट दे.
इस पैनल ने शोध करके यह माना है कि स्वस्थ्य वयस्कों के लिए उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ खाने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं हो सकता है. ना ही इससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.
कोलेस्ट्रोल से दिल की बीमारी नहीं होती
पैनल की मानें तो सेचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थ जैसे अंडा, चीज, मीट, चावल, आलू, पिज्जा, पास्ता, सैंडविच और बर्गर आदि सेहत खासकर दिल के लिए उतने बुरे नहीं है जितने समझे जा रहे थे. इतना ही नहीं फूड डिपार्टमेंट ने कोलेस्ट्रोल को दिल की बीमारी के लिए खतरनाक तक मानने से इनकार कर दिया है.
इन विशेषज्ञों का मानना है कि अंडे, झींगा या झींगा मछली जैसे उत्पादों में कोलेस्ट्रॉल हाई नहीं है. जितना वसायुक्त मांस और फुल क्रीम दूध और मक्खन में है.
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दिल की बीमारी और सुगर वाले लोगों को कोलेस्ट्रोल से बचना चाहिए
हालांकि विशेषज्ञों ने खराब कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को लेकर चेतावनी जारी ही रखी है. उनका कहना है कि दिल के बीमारी वाले लोगों के लिए खराब कोलेस्ट्रॉल खतरनाक है. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह जैसी विशेष स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को कोलेस्ट्रॉल युक्त आहार से बचना जारी रखना चाहिए.
चार दशक से अमेरिका में जारी थी चेतावनी
बता दें कि पिछले चार दशक में अमेरिका ही सेचुरेटेड फेट (संतृप्त वसा) और कोलेस्ट्रोल को सेहत के लिए खतरा मानकर दुनिया भर में इसका प्रचार कर रहा था. कोलेस्ट्रॉल को लेकर अमेरिका ने 1961 में चेतावनी जारी की थी. इसके बाद वहां लोगों के खानपान की आदत में बदलाव हुआ. जिसकी वजह से अंडे की खपत में 30 प्रतिशत की गिरावट आई. जिसकी वजह से अंडा किसानों को नुकसान पहुंचा.
70, 80, 90 और 2010 के दशक में अमेरिका लोगों से कहता रहा है कि उन्हें कोलेस्ट्रोल युक्त या वसायुक्त खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे मोटापा आता है और आखिरकार इससे दिल संबंधी और दूसरी कई बीमारियां होती हैं.
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में पोषण विभाग के अध्यक्ष वाल्टर विलेट ने भी कोलेस्ट्रॉल पर बदलाव को उचित कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि सोच में बदलाव आया है.
दवाइयों की भरमार हुई
अमेरिकी की इस चेतावनी की वजह से ही विश्व स्तर पर कोलेस्ट्रोल कम करने वाली दवाओं की भरमार और जबरदस्त बिक्री हुई. लेकिन अब अमेरिका अपनी चेतावनी को वापस लेने के लिए तैयार हो गया है.
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