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कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा, सरकार की आलोचना( Photo Credit : Twitter)
भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) का तेजी से प्रसार हो रहा है. विश्व भर में भारत अब कोरोना वायरस के तेजी से संक्रमण के मामले में 7वें स्थान पर आ गया है. ऐसे में कुछ विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए बनाए गए नेशनल टास्क फोर्स के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर आगाह किया है कि मौजूदा हालात में कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है. इसलिए यह मानना गलत होगा कि कोरोना पर काबू पाना फिलहाल संभव होगा. इन विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण से निपटने में सरकार के रवैये की आलोचना की भी है.
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मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी तीन नामी संस्थाओं ने 25 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों की आलोचना की. पीएम मोदी को पत्र लिखने वालों में स्वास्थ्य मंत्रालय के पूर्व सलाहकार, एम्स, बीएचयू, जेएनयू के पूर्व और मौजूदा प्रोफेसर शामिल हैं. डॉ डीसीएस रेड्डी ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किया है, जो कोरोना पर अध्ययन के लिए गठित कमेटी के प्रमुख हैं.
अप्रैल महीने में मेडिकल रिसर्च संस्था आईसीएमआर ने भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की ओर इशारा किया था. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने तब इसे नजरअंदाज कर दिया था. नेशनल टास्क फोर्स ने अप्रैल में ही कोरोना की निगरानी के लिए एक कमेटी भी बनाई थी.
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पत्र में विशेषज्ञों ने लॉकडाउन को क्रूर बताते हुए कहा, 'लॉकडाउन की कठोर सख्ती, नीतियों में समन्वय की कमी की कीमत अब भारत को चुकानी पड़ रही है. यह सोचना कि इस स्तर पर कोरोना वायरस पर काबू पाया जा सकेगा, हकीकत से परे होगा, क्योंकि भारत के कई कलस्टर में कम्युनिटी ट्रांसमिशन पूरी तरह से होने लगा है.'
पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि इस महामारी की शुरुआत में ही, मजदूरों को घर जाने की अनुमति दे दी गई होती तो मौजूदा हालात से बचा जा सकता था. शहरों से लौट रहे मजदूर अब गांवों में संक्रमण फैला रहे हैं. इससे ग्रामीण और कस्बाई इलाके प्रभावित होने लगे हैं. अगर भारत सरकार ने शुरुआत में ही विशेषज्ञों की राय ली होती तो हालात पर अधिक प्रभावी तरीके से काबू पाया जा सकता था.
Source : News Nation Bureau