logo-image

कोरोना के बीच Nipah Virus खतरे की निगरानी बढ़ी, बन रहा सेटेलाइट सेंटर

पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Intitute of Virology) के वैज्ञानिकों ने इसको लेकर हिदायत दी है. सरकार के शीर्ष अनुसंधान निकाय ने इस तरह की बीमारी के प्रकोप की मॉनीटरिंग करने के लिए पहले ही चमगादड़ों की निगरानी शुरू कर दी है.

Updated on: 04 Apr 2022, 09:18 AM

highlights

  • NIV निपाह जैसी जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम पर फोकस कर रहा है
  • साल 2024 तक नागपुर में एक सेटेलाइट सेंटर फॉर वन हेल्थ बनाया जाएगा
  • यह लैब मानव और पशु से होने वाले संक्रमण को संभालने में सक्षम होगा

New Delhi:

कोरोनावायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic) से उबरने की कोशिश में लगे देश में आने वाले दिनों में निपाह वायरस (Nipah Virus) एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Intitute of Virology) के वैज्ञानिकों ने इसको लेकर हिदायत दी है. सरकार के शीर्ष अनुसंधान निकाय ने इस तरह की बीमारी के प्रकोप की मॉनीटरिंग करने के लिए पहले ही चमगादड़ों की निगरानी शुरू कर दी है. एनआईवी निपाह जैसी जूनोटिक बीमारियों और उसकी रोकथाम के अभियान पर फोकस कर रहा है. 

देश में बायोमेडिकल रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम के मुताबिक जूनोटिक बीमारियां वह होती हैं जो जानवरों से फैलती हैं. इसके अलावा रिवर्स जूनोसिस भी होता है. इसमें बीमारियों के वायरस इंसानों से जानवरों में पहुंचकर उन्हें संक्रमित करने लगते हैं. उन्होंने बताया कि साल 2024 तक नागपुर में एक सेटेलाइट सेंटर फॉर वन हेल्थ स्थापित किया जाएगा. इस संस्थान में जानवरों, ह्यूमन वायरस और पर्यावरण पर रिसर्च होगा ताकि विभिन्न जूनोटिक बीमारियों से निपटा जा सके.  

इंसानों से जानवरों में भी फैल सकता है संक्रमण

डॉ. प्रिया अब्राहम ने बताया कि अगले दो साल में यह सैटेलाइट सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा. सेंटर के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. यहां पर हाई कंप्यूटिंग टूल रखे जाएंगे. इसकी मदद से बायो सेफ्टी लेवल-3 लैब बनाए जाएंगे. इसके बाद यह लैब मानव और पशु से होने वाले संक्रमण को संभालने में सक्षम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा संक्रमण के लिए जिम्मेदार SARS-COV-2 की ही बात नहीं है, कोरोना जैसे दूसरो संक्रमण भी इंसानों के जरिए जानवरों तक पहुंच सकते हैं.

ये भी पढ़ें - ओमीक्रॉन BA.2 से अधिक संक्रामक है सब-वेरिएंट XE, कोरोना पर WHO की रिपोर्ट