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एसएमएस हॉस्पिटल ने रचा एक और इतिहास, 9 साल बाद बोलने सुनने में असमर्थ अन्नू बोली पापा

जयपुर के एसएमएस अस्पताल के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा. जुलाई में 14 साल की बच्ची का ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट सर्जरी के बाद आज स्विच ऑन किया गया. जिसके बाद बच्ची आवाज को सुन पा रही है और रिस्पांस भी कर रही है.

Updated on: 10 Sep 2022, 11:03 AM

highlights

  • SMS अस्पताल में हुआ सफल ऑडिट्री ब्रेन स्टेम इम्प्लांट.
  • दौसा के नांगल बैरसी 14 साल की अन्नू 9 साल बाद बोलने सुनने लगी
  • स्विच ऑन के बाद अब सुन और बोल सकेगी 14 साल की अन्नू

नई दिल्ली:

जयपुर के एसएमएस अस्पताल के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा. जुलाई में 14 साल की बच्ची का ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट सर्जरी के बाद आज स्विच ऑन किया गया. जिसके बाद बच्ची आवाज को सुन पा रही है और रिस्पांस भी कर रही है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल  के चिकित्सकों ने एक बार फिर कीर्तिमान स्थापित किया है. करीब 2 माह पहले सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने 14 वर्षीय अन्नू, जो बोल और सुन नहीं सकती थी, उसका ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट किया था. इस जटिल ऑपरेशन को अस्पताल के न्यूरो सर्जरी और ईएनटी विभाग की टीम की ओर से किया गया था. ऐसे में शुक्रवार को चिकित्सकों ने इस ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट का स्विच ऑन किया और ऑपरेशन सफल रहा. बच्ची अब सुन सकती है. ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट करने वाला एसएमएस देश का पहला सरकारी अस्पताल है.

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जुलाई में 14 वर्षीय एक बालिका का ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट किया गया था. चिकित्सकों का कहना है कि इस 14 वर्षीय बालिका के दिमाग में संक्रमण फैलने के बाद सुनाई देना बंद हो गया था. थोड़े ही समय बाद उसने बोलना भी बंद कर दिया. जिसके बाद सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने बच्ची की जांच की तो पता लगा कि सिर्फ ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट के जरिए ही बच्ची के सुनने की क्षमता वापस आ सकती है. सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक और न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टर अचल शर्मा का कहना है कि ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट आधुनिक उपकरण है, जिसको कान के पीछे की हड्डी से होते हुए दिमाग के भीतरी ब्रेनस्टेम में लगाया जाता है. आमतौर पर यह इम्प्लांट उन मरीजों में किया जाता है. जिनमें कोक्लियर और कोक्लियर नर्व काम नहीं करते. वहीं, ENT विभाग के प्रोफेसर डॉ मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि हर 1000 बच्चों में से 4 बच्चों को कोकलियर इंप्लांट्स  की आवश्यकता होती है. आमतौर पर कोकलियर इंप्लांट्स उन बच्चों में लगाया जाता है, जिनके कान का अंदरूनी हिस्सा नॉर्मल है और सुनाई देने वाली नस भी नॉर्मल हो, लेकिन ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट उन बच्चों का किया जाता है. जिनका कोक्लियर बिल्कुल खत्म हो चुका होता है. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि इस तरह के ऑपरेशन के बाद मरीज के सुनने की क्षमता वापस आने में काफी समय लगता है. चिकित्सकों का कहना है कि आज ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट मशीन का स्विच ऑन किया गया. जिसके बाद बच्चे के मस्तिष्क तक आवाज पहुंचने लगी है और उसने रिस्पांस भी दिया.

जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव बगरहट्टा ने कहा कि आज का दिन एसएमएस मेडिकल कॉलेज के लिए ऐतिहासिक है. क्योंकि ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट जैसी जटिल सर्जरी करने वाला एसएमएस अस्पताल देश का पहला सरकारी क्षेत्र का अस्पताल बन गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में ही हो रहे थे. वह भी देश के चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में. लेकिन आज सरकारी क्षेत्र के एसएमएस अस्पताल ने यह कारनामा कर दिया है. इस ऑपरेशन की ट्रेनिंग के लिए डॉक्टर अचल शर्मा और डॉ मोहनीश ग्रोवर को चेन्नई भी भेजा गया था.