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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि प्राथमिक और माध्यमिक देखभाल के स्तर पर काम करने वाले चिकित्सकों के लिए स्क्रब टायफस को लेकर अधिक जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में इस रोग की पहचान करने की सुविधाएं होना भी नितांत आवश्यक हैं।
स्क्रब टाइफस क्या हैं
स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित संक्रमण है जो अनेक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है और इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं। बीते वर्ष 150 व्यक्ति संक्रमित पाए गए, जिनमें से 33 को यह रोग था। यदि इस रोग का इलाज न किया जाए तो 35 से 40 प्रतिशत मामलों में मृत्यु की आशंका रहती है।
स्क्रब टाइफस के लक्षण
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, 'स्क्रब टाइफस की शुरुआत सिरदर्द और ठंड के साथ बुखार से हो सकती है। रोग बिगड़ने पर बुखार तेज हो जाता है और सिरदर्द भी असहनीय होने लगता है। यह रोग हल्के फुल्के लक्षणों से लेकर अंगों की विफलता तक का भी कारण बन सकता है। कुछ मरीजों में पेट से शुरू हुई खुजली या चकत्ता अन्य अंगों तक फैलने लगता है। कई बार तो यह चेहरे पर भी हो जाता है। स्क्रब टायफस के लक्षणों की जांच करते समय मलेरिया, डेंगू, लेप्टोस्पायरोसिस आदि रोगों से भी तुलना की जाती है।'
उन्होंने कहा कि यह बीमारी छह से 21 दिनों तक सुप्तावस्था में रहती है, फिर दो से तीन सप्ताह तक रहती है। शुरुआत में बुखार, सिरदर्द और खांसी संबंधी लक्षण होते हैं। हल्के संक्रमण वाले मरीज बिना किसी अन्य लक्षण के ठीक हो सकते हैं।
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इलाज
डॉ. अग्रवाल ने बताया, 'कई अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि इस रोग के इलाज में टेट्रासाइक्लिन के साथ कीमोप्रोफिलेक्सिस बेहद प्रभावशाली रहती है। जिन इलाकों में पिस्सू अधिक पाए जाते हों, वहां के लोगों को त्वचा व कपड़ों पर कीट भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का प्रयोग करना चाहिए। कपड़ों व बिस्तर आदि पर परमेथ्रिन एवं बेंजिल बेंजोलेट का छिड़काव उपयोगी रहता है।'
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स्क्रब टायफस की रोकथाम के उपाय :
* उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पिस्सू बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं।
* ऐसे स्थानों पर जाना ही पड़े तो सुरक्षात्मक कपड़े पहनें। लंबी आस्तीन वाले कपड़े उपयोगी साबित हो सकते हैं।
* खुली त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए माइट रिपेलेंट क्रीम लगा लें।
* जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते या काम करते हैं, उन्हें डॉक्सीसाइक्लिन की एक साप्ताहिक खुराक दी जा सकती है।
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Source : IANS