AIIMS: दुनिया का सबसे छोटा 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' हुआ लॉन्च, जानें इसकी खूबियां और कीमत
विज्ञान में हो रही तरक्की और टेक्नोलॉजी में बढ़ता विकास कई कठिनाइयों को दूर कर रहा है। एम्स में दुनिया का सबसे छोटा और सस्ता 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' लॉन्च किया गया है।
highlights
- पोर्टेबल वेंटीलेटर को जेब में भी रखा जा सकता है
- इस वेंटीलेटर को चलाना बेहद आसान
- मोबाइल एप की मदद से करता है काम
नई दिल्ली:
विज्ञान में हो रही तरक्की और टेक्नोलॉजी में बढ़ता विकास कई कठिनाइयों को दूर कर रहा है। एम्स में दुनिया का सबसे छोटा और सस्ता 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' लॉन्च किया गया है।
इस वेंटीलेटर को ए सेट रोबोटिक्स के वैज्ञानिक दिवाकर ने इस स्वदेशी 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' को तैयार किया है।
इस वेंटीलेटर की खासियत है कि यह मोबाइल एप की मदद से काम करता है। इतना ही नहीं इस वेंटीलेटर को जेब में भी रखा जा सकता है।
यह दुनिया का पहला ऐसा पोर्टेबल वेंटीलेटर है जो बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के काम करता है। 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' की कीमत 15,000 और 20,000 होगी।
'पोर्टेबल वेंटीलेटर' बनाने से पहले दिवाकर दिमाग नियंत्रित करने वाली चेयर, थ्री डी रोबोट और डांसिंग रोबोट बना चुके है।
वेंटीलेटर बनाने वाले वैज्ञानिक दिवाकर का कहना है कि सामान्य वेंटीलेटर व्यक्ति के कद के बराबर होता है।
उस वेंटीलेटर में कई उपकरण होने के कारण उसे सिर्फ प्रशिक्षित डॉक्टर ही चला पाते है। वही 'पोर्टेबल वेंटीलेटर' आम आदमी के लिए आसान है क्यूंकि इसे चलाना आसान है।
इसकी खूबी ये है कि मरीज भी पोर्टेबल वेंटीलेटर को घर में इस्तेमाल कर सकता है।
डॉ अग्रवाल ने कहा, 'हमारे पास न्यूरो-सर्जरी विभाग में 10 से 15 ऐसे मरीज़ हैं जो पिछले दो वर्षों या उससे अधिक के लिए वेंटिलेटर पर हैं। इस वेंटीलेटर का इस्तेमाल करना आसान है और जल्द ही 15,000 रुपये से कम कीमत पर बाजार में उपलब्ध होगा।'
डॉ अग्रवाल ने कहा, 'अभी अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले वेंटीलेटर बाजार में 2.5 लाख से अधिक रूपये में मिलता है।'
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वेंटीलेटर की खासियत :
इस वेंटीलेटर की खास बात ये है कि लंबे समय से अस्पताल में रह रहे मरीजों को छुट्टी मिल सकेगी।
सबसे बड़ी बात ये है कि भारत के कई अस्पतालों में वेंटीलेटर की कमी से मरीजों की जान चली जाती है।
महाराष्ट्र के नासिक में वेंटीलेटर की कमी से अगस्त में 50 मरीजों की जान चली गई। ऐसे में इस वेंटीलेटर की मदद से कई जानों को बचाया जा सकता है।
सस्ता होने के कारण छोटे अस्पताल भी इसे इस्तेमाल का पाएंगे। शहरों से ज्यादा गांव में इसका फायदा होगा।
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