कोरोना मरीजों के लिए वरदान हो सकती है सूअर की तरह सांस लेने की तरकीब : शोध
टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी वैज्ञानिक ताकानोरी ताकेबे ने कहा है कि ये बेहद अच्छा होता अगर इंसान भी अपने गुदा द्वार और आंतों के जरिए सांस लेते हैं .
दिल्ली :
टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी ( Tokyo Medical and Dental University ) में के साइंटिस्ट ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से जिन लोगों के खून में ऑक्सीजन का स्तर कम है. या जो लोग वेंटिलेटर्स पर हैं. उनके लिए दिक्कत की बात ये है कि ICU में वेंटिलेटर्स पर रखे गए लोगों के फेफड़ों के नाजुक ऊतकों (Delicate Tissues) पर जब दबाव के साथ ऑक्सीजन जाता है तो उससे उन्हें नुकसान पहुंचता है. टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी वैज्ञानिक ताकानोरी ताकेबे ने कहा है कि ये बेहद अच्छा होता अगर इंसान भी अपने गुदा द्वार और आंतों के जरिए सांस लेते हैं .
Pigs can breathe oxygen via their rectum, so humans probably can too https://t.co/LAKowMSx4K pic.twitter.com/TktIYtuz5P
— New Scientist (@newscientist) May 14, 2021
वैज्ञानिक ने दावा किया है कि ऐसे काम कुछ साफ पानी की मछलियां भी करती है. स्तरधारी जीवों (Mammals) के गुदा द्वार के चारों तरफ एक पतली झिल्ली होती है, जो कुछ खास तरह के कंपाउंड्स को सोखकर खून के प्रवाह में डालते हैं. डॉक्टरों ने इसका उपयोग पहले भी किया है. इसके लिए कुछ खास तरह की दवाओं और सहायता प्रदान करने वाली चीजों की जरूरत होती है. ताकानोरी ने कहा कि सुअरों के गुदाद्वार में एनिमा के जरिए एक खास तरह का तरल पदार्थ परफ्लोरोकार्बन (Perfluorocarbon) डाला. यह तरल पदार्थ उच्च स्तर पर ऑक्सीजन को पकड़ कर रखता है. इस तरल पदार्थ को सांस लेने लायक कहा जा सकता है. इस तरल पदार्थ का उपयोग प्री-मैच्योर बच्चों के फेफड़ों को बचाने के लिए दिया जाता है.
परफ्लोरोकार्बन (Perfluorocarbon) एक गैर-विषैला तरल पदार्थ है. ताकानोरी और उनकी टीम ने चार सुअरों को बेहोश किया. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा और उन्हें सामान्य से कम ऑक्सीजन स्तर पर रखा. ताकि उनके खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाए. जब उन्होंने दो सुअरों को एनिमा के जरिए ऑक्सीजेनेटेड तरल पदार्थ परफ्लोरोकार्बन (Perfluorocarbon) दिया. इसके बाद जो हुआ वो हैरान कर देने वाला था. थोड़ी देर बाद दोनों सुअरों के खून में ऑक्सीजन की बढ़त दर्ज की गई. फिर बाकी दो सुअरों के मलद्वार में ट्यूब डाल रखा था. इस ट्यूब से परफ्लोरोकार्बन (Perfluorocarbon) उनके शरीर में डाला गया. उनके शरीर में भी खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही थी. यह स्टडी Cell जर्नल (Cell Journal ) में प्रकाशित हुई है.
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