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एक शख्स की मौत से 26 करोड़ वैक्सीन को बेअसर या खतरनाक करार नहीं दिया जा सकता : प्रोफेसर संजय राय

दिल्ली के एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital in Delhi) में भारत बायोटेक की वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है. इस ट्रायल में बच्चों को उम्र के हिसाब से तीन ग्रुप में 12 से 18 साल, 6 से 12 साल और 2 से 6 साल आयु वर्ग बांटा गया है.

Updated on: 15 Jun 2021, 04:43 PM

highlights

  • धीरे-धीरे कम आयु वर्ग के बच्चों का ट्रायल है जरूरी
  • डेल्टा प्लस वेरिएंट तेजी से फैलता है, वैक्सीन पारित के असर की पुष्टि नहीं
  • 'एक व्यक्ति की मौत से वैक्सीन को बेअसर नहीं कहा जा सकता'

नई दिल्ली :

दिल्ली के एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital in Delhi) में भारत बायोटेक की वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है. इस ट्रायल में बच्चों को उम्र के हिसाब से तीन ग्रुप में 12 से 18 साल, 6 से 12 साल और 2 से 6 साल आयु वर्ग बांटा गया है. अभी तक 12 से 18 साल आयु वर्ग के बच्चों का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है जबकि 6 से 12 साल के बच्चों के ट्रायल के लिए रिक्रूटमेंट और स्क्रीनिंग 15 जून से शुरू होगी. वहीं इस ट्रायल में शामिल होने के लिए दिल्ली एम्स (AIIMS Hospital in Delhi) ने व्हाट्सएप और ईमेल आईडी (Whatsapp and email ID) जारी की है.

धीरे-धीरे कम आयु वर्ग के बच्चों का ट्रायल है जरूरी

दिल्ली एम्स में वैक्सीन ट्रायल के इंचार्ज प्रोफेसर संजय राय ने कहा कि पहले चरण में हमने 12 से 18 साल के बीच के बच्चों पर ट्रायल शुरू किया. अब 6 से 12 के बीच में स्क्रीनिंग शुरू हो चुकी है . इसके लिए हमने उनके अभिभावकों से लिखित मंजूरी मांगी है. इसके अलावा ट्रेनिंग के लिए टेस्ट भी किए जा रहे हैं. मौजूदा दौर में हमारी कोशिश है कि सिर्फ स्वस्थ बच्चों पर ही वैक्सीन का ट्रायल किया जाए.

डेल्टा प्लस वेरिएंट तेजी से फैलता है, लेकिन खतरनाक होने और वैक्सीन पारित के असर की पुष्टि नहीं

वैक्सीन ट्रायल के इंचार्ज प्रोफेसर संजय राय ने बताया कि भारत में b1.617.2 वेरिएंट की पुष्टि पिछले साल ही हो गई थी और अब तो इस डेल्टा वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैरीअंट ऑफ कंसर्नट में शामिल कर लिया है. अब इसके अंदर दो तीन और म्यूटेशन हो चुके हैं. यह बात तो सच है कि यह बहुत तेजी से फैलता है ,लेकिन अभी यह कहना डाटा के आधार पर मुमकिन नहीं कि टीकाकरण का असर इस वैरीअंट पर कम है. हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे पास कुछ ऐसे मामले आए हैं जिसमें वैक्सीन के बावजूद संक्रमण फैला है. इसमें मृत्यु दर का कितना खतरा है इसका शोध कार्य भी अभी बाकी है . जहां तक सवाल नई वैक्सीन का है मुझे लगता है कि दुनिया के पास अब 15 वैक्सीन है . ऐसे में नई वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल नहीं बल्कि पूरी शोध कार्य के बाद ही मंजूरी मिलनी चाहिए चाहे उसके लिए रि इंजीनियरिंग करके वैरीअंट के आधार पर नई वैक्सीन बनानी पड़े.

एक व्यक्ति की मौत से 26 करोड़ वैक्सीन को बेअसर या खतरनाक नहीं दिया जा सकता करार

प्रोफेसर संजय राय ने कहा कि यह बात ठीक है कि जिस तरीके से खबरें निकल कर आ रही है सरकारी सूत्रों का हवाला देते हुए कि अभी तक एक व्यक्ति की मौत टीकाकरण की वजह या उसके बाद से पुष्टि हुई है, लेकिन यह बहुत रियल घटना है 26 करोड़ वैक्सीन की डोज़ लग चुकी है ,ऐसे में एक मृत्यु से ना तो टीकाकरण से डरना चाहिए और ना वैक्सीन को खतरनाक कहा जा सकता है.