सावधान! बढ़ते प्रदूषण की वजह से तेजी से घट रही है आपके बच्चों की हाइट
राजधानी दिल्ली में ही नहीं बल्कि आज के समय में अधिकत्तर जगह प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. इस बढ़ते प्रदूषण से सिर्फ वयस्क लोग ही प्रभावित नहीं होते है बल्कि बच्चे भी तेजी से इसके से चपेट में आ रहे हैं.
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में ही नहीं बल्कि आज के समय में अधिकत्तर जगह प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. इस बढ़ते प्रदूषण से सिर्फ वयस्क लोग ही प्रभावित नहीं होते है बल्कि बच्चे भी तेजी से इसके से चपेट में आ रहे हैं. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के प्रोफेसर और अन्य सहयोगियों ने Environmental health जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों में भी प्रदूषण के कारण बच्चों की हाइट (कद) घट रही है और उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं.
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रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर के प्रदूषण में कोई बच्चा पैदा हुआ तो उसकी हाइट .024 सेंटीमीटर पांच साल की आयु में कम दर्ज की गई. इसके साथ ही खुलास भी हुआ है कि नवंबर से जनवरी के बीच पैदा होने वाले बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं, क्योंकि उस समय प्रदूषण अधिक होता है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 से बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और इसी का सबसे ज्यादा असर उनकी हाइट पर पड़ रहा है.
IIT दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर साग्निक डे ने बताया, 'गांव के बच्चों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. आंकड़ों के अनुसार गांवों में कुपोषण और स्वास्थ्य कारणों से कमजोर हो रहे बच्चों पर प्रदूषण की मार शहरी बच्चों के मुकाबले ज्यादा पड़ रही है. मोटे तौर पर शोध में देखा गया है कि प्रदूषण के कारण बच्चों की ऊंचाई हर जगह प्रभावित हो रही है चाहे वह गांव हो या शहर. बस शहर में इतना सकारात्मक है कि यहां बच्चों का पोषण गांव के मुकाबले ठीक है.'
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प्रोफेसर डे ने ये भी कहा, 'बच्चों की हाइट और प्रदूषण को लेकर किया गय है, यह अपनी तरह का पहला रिसर्च है. यह आंकड़ा केंद्र सरकार के डेमोग्राफिक एंड हेल्थ सर्वे से लिया गया है, जो देश के 640 जिलों में पांच साल के लगभग ढाई लाख बच्चों पर किया गया.'
बता दें कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था, रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदुषण (Air pollution) की वजह से हर साल 70 लाख लोगों की असामयिक मौत हो जाती है.
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पर्यावरण और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड आर. बॉयड के अनुसार, 6 अरब से अधिक लोग इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जिसने उनके जीवन, स्वास्थ्य और बेहतरी को खतरे में डाल दिया है. इसमें एक-तिहाई संख्या बच्चों की है.
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