कोरोना जैसे तीन खतरनाक वायरस मिलने से दहशत, मंडराया नई मुसीबत का खतरा
कोरोना वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है वहीं कोरोना जैसे ही तीन और वायरस सामने आने से दहशत मची हुई है. वैज्ञानिक भी इन वायरस को लेकर हैरान हैं. कोरोना वायरस से 96 फीसदी समरूपता दिखाने वाले तीनों वायरस लाओस के चमगादड़ों से लिए गए नमूने में पाए गए.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है वहीं कोरोना जैसे ही तीन और वायरस सामने आने से दहशत मची हुई है. वैज्ञानिक भी इन वायरस को लेकर हैरान हैं. कोरोना वायरस से 96 फीसदी समरूपता दिखाने वाले तीनों वायरस लाओस के चमगादड़ों से लिए गए नमूने में पाए गए. अभी तक जितने भी वायरस सामने आए हैं उनमें इन्हें कोरोना के सबसे करीबी वायरस में से बताया जा रहा है. सिडनी यूनिवर्सिटी के विषाणु वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स का कहान है कि जब हमने पहली बार कोरोना वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस तैयार किया तो जो रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन मिला, वह हमारे लिए अनदेखा और नया था, इससे कुछ लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि वायरस की उत्पत्ति लैबोरेटरी में हुई है.
कोरोना जैसे नए वायरस का खतरा
वैज्ञानिकों की खोज में सामने आया है कि धरती भी कोरोना जैसे कई वायरस और हो सकते हैं. हाल ही में पेरिस स्थित पाश्चर इंस्टीट्यूट के विषाणु वैज्ञानिक मार्क एलोइट ने अपने सहयोगियों के साथ लाओस स्थित एक गुफा से 645 चमगादड़ों के नमूने लिए. इनमें से विशेष प्रजाति के तीन चमगादड़ों में तीनों नए वायरस मिले जिनके नाम हैं-बीएएनएएल-52, बीएएनएएल-103 और बीएएनएएल-236. इनमें से बीएएनएल-52 की कोरोना वायरस से समरूपता 96.8 फीसदी है.
हो सकते हैं काफी संक्रामक
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के वैज्ञानिक डेविड ने इन वायरस को काफी डरावना बताया है. डरने की सबसे बड़ी वजह यह है कि ये वायरस भी कोरोना की तरह इंसानों को संक्रमित करने में उतने ही सक्षम हैं. ‘द नेचर’ जर्नल की खबर में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि नए वायरस में उसी तरह का रिसेप्टर बाइंडिंग डोमने पाया गया है जैसा कि कोरोना वायरस में पाया जाता है.
कोरोना की उत्पत्ति को लेकर फिर संदेह
अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक है या उसे लैब में बनाया गया. वैज्ञानिकों के मुताबिक तीनों नए वायरस के जेनेटिक कोड उन दावों को मजबूत करते हैं जिसमें कोरोना वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक माना गया है. सिडनी यूनिवर्सिटी के विषाणु वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स का कहान है कि जब हमने पहली बार कोरोना वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस तैयार किया तो जो रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन मिला, वह हमारे लिए अनदेखा और नया था, इससे कुछ लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि वायरस की उत्पत्ति लैबोरेटरी में हुई है. लेकिन लाओस में मिले नए वायरस से साफ हो गया है कि कोरोना वायरस की प्रकृति की देन है. सिंगापुर की ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल की विशेषज्ञ लिंफा वांग ने भी कोरोना वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक बताया.
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