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जानवरों के शरीर में जाकर कैसे बदला Omicron? वैज्ञानिकों ने किया ये खुलासा

ओमीक्रॉन सोर्स कोव 2 प्रकार का वैरिएंट है. US के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड बॉयोमेडिकल साइंसेज में रिसर्च टीम ने कुत्तों, बिल्लियों, फेरेट्स और हैम्स्टर्स में संक्रमण के बाद कोरोना में होने वाले उत्परिवर्तन प्रकारों का गहन विश्लेषण किया.

Updated on: 05 Dec 2021, 06:50 PM

नई दिल्ली:

दुनिया में कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन तेजी से पैर पसार रहा है. भारत में भी ओमीक्रॉन के 5 मरीज मिल हैं. इस बीच एक अमेरिकी संस्था की रिसर्च में खुलासा किया गया है कि कोविड संक्रमित व्यक्ति जब किसी जानवर के या संक्रमित जानवर किसी स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो नए तरह के वैरिएंट का जन्म हो सकता है. इस वैरिएंट को रिवर्स जूनोसिस कहते हैं यानी सार्स-कोव-2 जैसा प्रकार पैदा हो सकता है.

आपको बता दें कि ओमीक्रॉन सोर्स कोव 2 प्रकार का वैरिएंट है. US के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड बॉयोमेडिकल साइंसेज में रिसर्च टीम ने कुत्तों, बिल्लियों, फेरेट्स और हैम्स्टर्स में संक्रमण के बाद कोरोना में होने वाले उत्परिवर्तन प्रकारों का गहन विश्लेषण किया. साथ ही हाल ही में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की आधिकारिक पत्रिका पीएनएएस में यह रिसर्च प्रकाशित हुई थी. चिड़ियाघर, जंगली और घरेलू जानवरों में रिसर्च की गई है. इस रिसर्च के अनुसार, अगर कोई जानवर कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो कोरोना के नए वैरिएंट का जन्म हो सकता है. ओमीक्रॉन वैरिएंट का जन्म भी इसी प्रक्रिया हिस्सा तो नहीं? इस रिसर्च से इस बात को बल मिलता है. 

यूएस में माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और पैथोलॉजी विभाग में डॉक्टरेट की छात्रा लारा बशोर का कहना है कि कई प्रकार के वायरस आम तौर पर जानवरों की अन्य प्रजातियों को संक्रमित नहीं कर सकते हैं, वे काफी विशिष्ट हो गए हैं, लेकिन कोविड फैमिली का सार्स-कोव-2 इससे एकदम अलग है. गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोविड के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन पर कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ओमीक्रॉन रोडेंट्स यानी चूहों जैसे जीव से व्यक्तियों तक पहुंचा है. इस प्रक्रिया को रिवर्स जूनोस‍िस कहा जाता है.

जूनोसिस और रिवर्स जूनोसिस में ये है अंतर

जब जानवरों से व्यक्ति तक कोई बीमारी पहुंचती है तो इसे जूनोसिस कहते हैं तो वहीं जानवरों से जब बीमारी अपना रूप बदलकर व्यक्ति में वापस आती है तो इस प्रक्रिया को रिवर्स जूनोसिस कहते हैं. वैज्ञान‍िकों ने अपनी रिपोर्ट में भी यही दावा किया है.