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तेजी से बढ़ रहा है बच्चे का वजन तो हो जाएं सावधान, कमजोर हो सकती है याददाश्त

शोध के मुताबिक, मोटापे से बच्चों की याददाश्त भी कमजोर होती है. साथ ही सोचने और योजना बनाने में भी उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

Updated on: 31 Dec 2019, 11:25 AM

नई दिल्ली:

आजकल की भागदौड़ भरी दुनिया में लोग अपनी दिनचर्या के प्रति पूरी तरह से ध्यान ही नहीं दे पाते हैं, नतीजन वक्त से पहले उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है. वहीं दुनिया की रेस में दौड़ते और अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करने के लिए भागते मां-बाप भी अपने बच्चो की देखभाल में चूक कर जाते है. दरअसल, बच्चों में मोटापा एक बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आया है, जिसका खामियाजा उन्हें ताउम्र भुगतना पड़ सकता है. हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक, मोटापे से बच्चों की याददाश्त भी कमजोर होती है. इसके साथ ही सोचने और योजना बनाने में भी उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

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अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमॉन्ट और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अध्ययन किया है. अध्ययन के लिए 10,000 किशोरों के आंकड़े जुटाए गए. 10 साल चले अध्ययन के दौरान हर 2 साल में उनकी जांच की गई और ब्लड सैंपल लिया गया.

शोधकर्ताओं ने बताया, 'इस दौरान उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की जाती रही, जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन बच्चों का बीएमआइ ज्यादा होता है, उनका सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स एक परत है जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढकती है. इसके पतले होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में इससे पहले के अध्‍ययनों से मिले निष्‍कर्षों का समर्थन किया जिनमें पाया गया था कि उच्‍च बीएमआइ वाले बच्‍चों की वर्किंग मेमरी कमजोर होती है.'

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इसके अलावा द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था, 'दुनिया के करीब एक तिहाई निम्न आय वाले देशों को मोटापे और कुपोषण जैसे गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है. इसका बड़ा कारण खाद्य प्रणाली में हुए बदलावों की वजह से हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, 'कुछ वर्षों से निम्न आय वाले देशों में सुपरमार्केट बढ़ गए हैं और ताजा खाद्य बाजार खत्‍म होने लगे हैं, इससे स्थिति खराब हुई है. यही नहीं खाद्य शृंखला को कंपनियों द्वारा नियंत्रित किए जाने के कारण भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.'