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पॉलिसी बाजार की नई पेशकश, फोन पर ही स्वास्थ्य जांच से मिल जाएगी टर्म, चिकित्सा बीमा पॉलिसी

पॉलिसी बाजार ने ‘लॉकडाउन’ (बंद) के दौरान संबंधित व्यक्ति की शारीरिक तौर पर जांच कराए बिना केवल फोन पर डाक्टर से बातचीत के आधार पर ‘टर्म इंश्योरेंस’ और चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराने के लिए कुछ बीमा कंपनियों के साथ गठबंधन किया है.

Updated on: 31 Mar 2020, 03:46 PM

दिल्ली:

ग्राहकों को आनलाइन बीमा उपलब्ध कराने की सुविधा देने वाले मंच पॉलिसी बाजार ने ‘लॉकडाउन’ (बंद) के दौरान संबंधित व्यक्ति की शारीरिक तौर पर जांच कराए बिना केवल फोन पर डाक्टर से बातचीत के आधार पर ‘टर्म इंश्योरेंस’ और चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराने के लिए कुछ बीमा कंपनियों के साथ गठबंधन किया है. कोई भी ग्राहक अब ‘टर्म इंश्योरेंस’ या फिर स्वास्थ्य बीमा कवर शारीरिक तौर पर उपस्थित हुए बिना ही ले सकता है.

डाक्टर केवल फोन पर ही पूछताछ करेंगे और बीमाकर्ता को स्वास्थ्य जांच के लिये डाक्टर के समक्ष नहीं जाना होगा. आमतौर पर टर्म जीवन बीमा लेने पर बीमाकर्ता की व्यापक रूप से स्वास्थ्य जांच की जाती हैं. पालिसी बाजार डॉट कॉम की मुख्य व्यावसायिक अधिकारी (जीवन बीमा) संतोष अग्रवाल ने पीटीआई- भाषा को यह जानकारी देते हुए कहा कि एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस, रेलिगेयर, मैक्स बुपा, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस और टाटा एआईए ऐसी दर्जन भर कंपनियों में शामिल हैं जो कि अब टेलिमिडिकल व्यवस्था के जरिये अपने बीमा उत्पाद उपलब्ध कराने की पेशकश कर रही हैं.

अग्रवाल ने कहा, ‘‘हालांकि, टेलिमेडिकल की यह सुविधा करीब एक साल पुरानी है, लेकिन इन दिनों देशभर में जारी ‘लॉकडाउन’ को देखते हुये इसको लेकर पूछताछ बढ़ी है.’’ उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के फैलाव को देखते हुये टेलीफोन पर जांच के जरिये बीमा उपलब्ध कराना आज समय की जरूरत है. जो भी दो करोड़ रुपये तक का टर्म इंश्योरेंस और एक करोड़ रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर चाहते हैं उनके लिये मौजूदा दौर में यह सुविधा काफी लाभदायक होगी.

उन्होंने बताया कि टेलिमेडिकल की यह प्रक्रिया पूरी तरह से बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के नियमन दायरे में हैं और ग्राहक के लिहाज से विश्वसनीय है. हालांकि, अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि यदि ग्राहक द्वारा फोन पर गलत जानकारी दी जाती है और जांच के दौरान यह साबित भी हो जाता है तो फिर ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी के पास बीमा दावे को खारिज करने का पूरा अधिकार होगा.