अच्छी सेहत के लिए प्रकृति की देन है आंवला, जानें इसके एक नहीं 11 फायदे

कहते हैं, बुजुर्गो की बात का और आंवले के स्वाद का पता बाद में चलता है।

कहते हैं, बुजुर्गो की बात का और आंवले के स्वाद का पता बाद में चलता है।

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Aditi Singh
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अच्छी सेहत के लिए प्रकृति की देन है आंवला, जानें इसके एक नहीं 11 फायदे

आंवला

आंवला को हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। कहते हैं, बुजुर्गो की बात का और आंवले के स्वाद का पता बाद में चलता है। आंवला को प्राचीन आयुर्वेदिक प्रणाली में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए लगभग पांच हजार साल से प्रयोग किया जा रहा है।

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इसका नियमित सेवन दिल की बीमारी, मधुमेह, बवासीर, अल्सर, दमा, ब्रॉन्काइटिस तथा फेफड़ों की बीमारी में राम बाण का काम करता है। 

नेत्ररोग : 20-50 ग्राम आंवलों को जौकुट कर दो घंटे तक आधा किलोग्राम पानी में औटाकार उस जल को छानकर दिन में तीन बार आंखों में डालने से नेत्र रोगों में लाभ मिलता है।

नकसीर : जामुन, आम तथा आंवले को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नासिका में प्रवृत रक्त रुक जाता है।

स्वर भेद : अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षर, चित्राक, इनको समान मात्रा में मिला लें, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु तथा 1 चम्मच घृत के साथ चाटने से स्वर भेद दूर होता है।

हिचकी : आंवला रस 10-20 ग्राम और 2-3 ग्राम पीपर का चूर्ण 2 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।

वमन : हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। यह दिन में दो-तीन बार दिया जा सकता है।

अम्लपित्त : 1-2 नग ताजा आंवला मिश्री के साथ या आंवला स्वरस 25 ग्राम समभाग शहद के साथ सुबह-शाम लेने से खट्टी डकारें, अमल्पित्त की शिकायतें दूर हो जाती हैं।

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पीलिया : यकृत की दुर्बलता व पीलिया निवारण के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लिया जाना चाहिए।

कब्ज :यकृत बढ़ने, सिरदर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग से आंवला से बने त्रिफला चूर्ण को प्रयोग किया जाता है।

बवासीर : आंवला को पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बर्तन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरतन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मस्सों से अधिक रक्तस्राव होता हो, तो 3 से 8 ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए।

अतिसार : 5-6 नग आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास लेप कर दें और नाभि की थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यन्त भयंकर अतिसार का भी नाश होता है।

कुष्ठ : आंवला और नीम के पत्ते को समभाग में महीन चूर्ण करें। इसे 2 से 6 ग्राम या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है। आंवले की गुठली को जलाकर भस्म करें और उसमें नारियल तेल मिलाकर गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।

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Source : IANS

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