Movement Disorder: राजस्थान में युवाओं से जुड़ी बड़ी रिसर्च हुई है जिसमें सामने आया है कि समय से पहले दिमागी तौर पर युवा बूढ़े हो रहे है. 60 पार करने पर बुजुर्गों में होने वाली मूवमेंट डिसआर्डर की दिक्क़त अब युवाओं को घेर रही है. राजस्थान में इस बीमारी पर पहली बार रिसर्च पर इसका खुलासा हुआ है. ये सब हो रहा है दिमाग़ में डोपामाइन की कमी से. ये वही डोपामाइन हार्मोन है जैसे ख़ुशी देने वाला हार्मोन कहा जाता है. जयपुर में मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ डॉक्टर वैभव माथुर, न्यूरोलोजिस्ट ने एक साल में 1428 मरीजों पर रिसर्च की तो सामने आया है कि पहले 2% युवाओं में इस बीमारी के लक्षण मिलते थे, अब आंकड़ा 35% पार है.15 साल से कम उम्र के 45 बच्चे भी मूवमेंट डिसऑर्डर डिस्टोनिआ के शिकार मिले हैं. वहीं, 300 से 400 मरीजों की उम्र 15 से 30 साल मिली, जिन्हें यंग ऑनसेट पार्किंसंस है. मूवमेंट डिसऑर्डर दिमाग के एक हिस्से के काम नहीं करने यानी ब्रेन में डोपामाइन की कमी से होती है. मूवमेंट डिसऑर्डर के रोज औसतन 12 से 15 मरीज आ रहे हैं. इनमें से 7 से 8 मरीजों की उम्र 40 साल से भी कम है.कोरोना के बाद इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी है.
क्या होता है मूवमेंट डिसआर्डर
दरअसल मूवमेंट डिसऑर्डर बीमारी दिमाग़ में कुछ खास हिस्सों कि सिकुड़न की वजह से होती है. ब्रेन में ब्रेसल गांगलिआ से डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है. वह हिस्सा डैमेज होने से डोपामाइन की कमी होने लगती है. इसके पीछे तीन बड़ी वजह होती है. कमजोर इम्यून सिस्टम से इस बीमारी के जीन तेजी से म्यूटेशन होने लगते हैं. वहीं, बिना डॉक्टरी परामर्श गैस्ट्रो या मनोरोग संबंधित दवाइयां ज्यादा यूज करना. इसके साथ ब्रेन में इन्फेक्शन से डोपामाइन वाला हिस्सा डैमेज हो जाए तो परेशानी होने लगती है. पोस्ट कोविड केसेज में भी इस तरह के लक्षण मिले है.
मूवमेंट डिसआर्डर कितने तरह के होते हैं
पार्किंसन्स, अटैक्सिआ, डिस्टोनिआ, ट्रेमर और कोरिया मूवमेंट डिसऑर्डर में इंसान का शरीर अचानक कम्पन करने लगता है. धीरे-धीरे बीमारी बढ़ती है तो धीमापन आ जाता है और शरीर के अलग-अलग हिस्से में जकड़न होने लगती है. पहले बुजुगों में होने वाली पार्किंसन्स में कंपन्न, धीमापन, जकड़न, बैलेंस की दिक्कतें आती हैं. अटैक्सिआ में चलने में लड़खड़ाहट, हाथ-पैर चलाने में नियंत्रण की कमी. जबकि डिस्टोनिआ में चेहरे, हाथों या पैरों में अनैच्छिक मुड़ाव या जकड़न, बोलने वा चवाने में भी दिक्कत, लिखने में परेशानी या गर्दन में मुड़ाव और झटके. ट्रेमर इसका चौथा प्रकार है.
आशुतोष शर्मा की रिपोर्ट, राजस्थान
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Source : News Nation Bureau