कोलकाता में पैदा हुए 'जलपरी बच्चे' ने चार दिन बाद तोड़ा दम, डॉक्टर्स नहीं पता लगा पाए लिंग

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के एक अस्पताल में दुर्लभ मामला सामने आया। एक बच्चे ने 'जलपरी' के रूप में जन्म लिया।

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के एक अस्पताल में दुर्लभ मामला सामने आया। एक बच्चे ने 'जलपरी' के रूप में जन्म लिया।

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Aditi Singh
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कोलकाता में पैदा हुए 'जलपरी बच्चे' ने चार दिन बाद तोड़ा दम, डॉक्टर्स नहीं पता लगा पाए लिंग

'जलपरी बच्चा'

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के एक अस्पताल में दुर्लभ मामला सामने आया। एक बच्चे ने 'जलपरी' के रूप में जन्म लिया। जिसे देखकर डॉक्टरर्स भी चौंक गए। बच्चे का ऊपरी हिस्सा तो सामान्य था, मगर कमर के नीचे जलपरी जैसा दिख रहा था। बच्चे के दोनों पैर आपस में जुड़े थे। अविकसित श्रोणि और दोनों पैरों के आपस में जुड़े होने के कारण डॉक्टर्स को बच्चे का लिंग पता करने में मुश्किल हो गया था।

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इस दुर्लभ बीमारी को 'मरमेड सिंड्रोम' कहा जाता है। शहर के सरकारी अस्पताल चितरंजन सेवा सदन में 23 साल की मुस्कुरा बीबी की सामान्य डिलीवरी हुई थी। जानकारी के मुताबिक बच्चे के मां-बाप गरीबी के कारण प्रेंग्नेसी से जुड़े टेस्ट नहीं करा पाए जिससे बच्चे की सेहत का पता नहीं चला।

डाक्टर्स बच्चे को बचा नहीं पाए। जन्म के 4 दिन बाद बच्चे की मौत हो गई। माना जाता है कि 60 हजार से एक लाख बच्चों में कोई एक बार ऐसा मामला आता है।

अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. सुदीप साहा ने कहा, 'पैसों की कमी के कारण बच्चे के माता-पिता प्रेग्नेंसी के दौरान ठीक से इलाज और पोषण नहीं ले पाए। मां के अशुद्ध रक्त संचालन के कारण बच्चे में आसान्यता पैदा हो जाएगी।

साहा ने कहा कि उन्होंने ऐसा मामला पहले कभी नहीं देखा था। सिरेनोमोलिया का यह मामला देश में दूसरा और राज्य का पहला था।

ऐसा ही कुछ मामला 2016 में सामने आया था। जब उत्तर प्रदेश की महिला ने देश के पहले 'जलपरी बच्चे' को जन्म दिया था। वह केवल 10 मिनट तक ही जिंदा रह पाया था।

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Source : News Nation Bureau

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