टेस्ट में 300 विकेट लेने वाले आठवें ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज बने पैट कमिंस
पूरा महाराष्ट्र हादसे के पीड़ितों के दुख में शामिल : देवेंद्र फडणवीस
सीएम रेखा गुप्ता ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के विकास कार्यों की समीक्षा की
'दुख की घड़ी में हैं भारत के साथ', अहमदाबाद में हुए विमान हादसे पर दुनिया भर के नेताओं ने जताया शोक
डब्ल्यूटीसी फाइनल : दूसरे दिन गिरे 14 विकेट, दूसरी पारी में शुरुआती झटकों के बाद संभली ऑस्ट्रेलियाई टीम
अहमदाबाद विमान हादसा: जयराम रमेश ने विजय रूपाणी के साथ अपनी दोस्ती को याद किया
'राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे', ऐसा नहीं कहा तो पार्टी से निकाला : लक्ष्मण सिंह
Haridwar Firing Case: पुलिस ने फगवाड़ा से दो शूटरों को दबोचा, गैंगवार की पुरानी रंजिश निकली वजह
Karishma Kapoor ex husband died: नहीं रहे करिश्मा कपूर के एक्स पति संजय कपूर, पति पर गंभीर आरोप लगा लिया था तलाक

कोरोना मरीजों में ‘असामान्य कोशिकाओं’ की मौजूदगी से होते हैं फेफड़े नष्ट: वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के अंगों के नमूनों का विश्लेषण किया और पाया है कि ज्यादातर मामलों में 'आपस में जुड़ी' असामान्य कोशिकाओं की मौजूदगी की वजह से फेफड़े बेकार हो गए.

वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के अंगों के नमूनों का विश्लेषण किया और पाया है कि ज्यादातर मामलों में 'आपस में जुड़ी' असामान्य कोशिकाओं की मौजूदगी की वजह से फेफड़े बेकार हो गए.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
effect Lungs

कोरोना मरीजों में असामान्य कोशिकाओं की मौजूदगी से होते हैं फेफड़े नष्ट( Photo Credit : फ़ाइल फोटो)

वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के अंगों के नमूनों का विश्लेषण किया और पाया है कि ज्यादातर मामलों में 'आपस में जुड़ी' असामान्य कोशिकाओं की मौजूदगी की वजह से फेफड़े बेकार हो गए. यह एक ऐसा तथ्य है जो बीमारी की गंभीरता पर अधिक प्रकाश डाल सकता है. ब्रिटेन स्थित किंग्स कॉलेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले 41 लोगों के फेफड़े, हृदय, यकृत और वृक्क (गुर्दा) का विश्लेषण किया, ताकि नए कोरोना वायरस ‘सार्स-कोव-2’ के व्यवहार के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त की जा सके.

Advertisment

यह भी पढ़ें: कफ की एक-एक बूंद खतरनाक, यकीन न हो तो यह खबर पढ़िए 

यह अनुसंधान रिपोर्ट पत्रिका ‘ईबॉयोमेडिसिन’ में प्रकाशित हुई है जिसमें विषाणु के विशेष व्यवहार का खुलासा हुआ है. इससे इस बारे में व्याख्या की जा सकती है कि क्यों कई मरीजों में थकान और सांस में दिक्कत सहित बीमारी के लक्षण महीनों तक बने रहते हैं जिसे ‘दीर्घ कोविड’ कहा जाता है. विश्लेषण में ज्यादातर मामलों में फेफड़े काफी क्षतिग्रस्त पाए गए. वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत रोगियों में अतिरिक्त तरह के लक्षण पाए गए जो निमोनिया के अन्य स्वरूपों की तुलना में काफी अलग थे.

यह भी पढ़ें: ‘ओपियड’ की लत छुड़ाने में काम आने वाली दवा टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में भी कारगर

उन्होंने कहा कि इन लोगों के फेफड़ों की धमनियों और शिराओं में रक्त के थक्के काफी अधिक थे और फेफड़ों की अनेक कोशिकाएं असामान्य रूप से बड़ी थीं तथा कई नाभिकों से युक्त थीं. इससे विभिन्न कोशिकाएं आपस में जुड़कर एकल बड़ी कोशिकाओं के रूप में तब्दील हो गईं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ज्यादातर मामलों में 'आपस में जुड़ी' असामान्य कोशिकाओं की मौजूदगी की वजह से फेफड़े बेकार हो गए. यह एक ऐसा तथ्य है जो बीमारी की गंभीरता के बारे में अधिक प्रकाश डाल सकता है. 

Source : Bhasha

कोरोना वायरस संक्रमण Corona virus epidemic corona-virus कोरोनावायरस
      
Advertisment