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पटेल चेस्ट हॉस्पिटल टीबी(फाइल फोटो )
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पटेल चेस्ट हॉस्पिटल टीबी(फाइल फोटो )
दुनिया की आबादी का एक तिहाई हिस्सा ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से ग्रस्त है। भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2014 में 220,000 से दोगुना बढ़कर 2015 में 480,000 हो गई।
ऐसा निजी क्षेत्र द्वारा मामलों की रिपोर्ट दिए जाने से हुआ है। जिन लोगो का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन लोगों में टीबी होने का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। टी.बी. को फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।आप टीबी से जुड़े कुछ तथ्य को जानिए।
HIV पीड़ित को टीबी 26 -31 गुना ज्यादा होने का खतरा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में करीब 1 .8 मिलियन लोगों की मौत टीबी के कारण हुई। दुनियाभर में HIV और मलेरिया की तुलना में टीबी के कारण मौत हुई है।
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टीबी HIV से पीड़ित लोगों की मौत के लिए प्रमुख कारण है। टीबी के ज्यादातर मामले एशिया और अफ्रीका में रिपोर्ट किये गए है।
भारत में निजी औषधि निर्माता कंपनियों की संख्या 850,000 से भी अधिक है, लेकिन ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) पर रोकथाम के अभियान में सिर्फ नौ फीसदी निजी कंपनियां ही शामिल हैं।
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शोधपत्रिका 'जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल्स प्रैक्टिस एंड पॉलिसी' के एक शोध-पत्र से यह खुलासा हुआ है।
इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और दुनिया से टीबी को 2003 से 2015 के बीच पांच चरणों में खत्म करने के लिए शुरू किए गए अभियान 'स्टॉप टीबी पार्टनरशिप' जैसे वैश्विक दस्तावेजों का विश्लेषण भी किया गया है।
भारत ने पूरे देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए जरूरी होगा कि टीबी के नए मामलों में 95 फीसदी की कटौती लाई जाए।
भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2014 में 220,000 से दोगुना बढ़कर 2015 में 480,000 हो गई। हालांकि ऐसा निजी क्षेत्र द्वारा मामलों की रिपोर्ट दिए जाने से हुआ है।
2015 में करीब 10 मिलियन टीबी के केस पाए गए थे। भारत, चीन, नाइजीरिया, इंडोनेशिया साउथ अफ्रीका में 60 प्रतिशत टीबी के केस सामने आये थे।
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Source : News Nation Bureau