logo-image

Corona Virus: अगर आप गुर्दे के मरीज हैं तो कोरोना वायरस से रहें सावधान

कोरोनावायरस (Corona Virus) के संक्रमण से बचाने के लिए इनकों दूसरों से अलग-थलग और घर में ही नहीं रखा जा सकता है. लिहाजा, गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों में एक दूसरे से भी संक्रमण का खतरा रहता है

Updated on: 20 Mar 2020, 10:47 PM

नई दिल्ली:

गुर्दा रोग से पीड़ित मरीज जिन्हें डायलिसिस करवानी पड़ रही है उनको कोरोनावायरस (Corona Virus) से ज्यादा खतरा हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन के नतीजों में बताया गया है कि जिन मरीजों के गुर्दे क्षतिग्रस्त हो गए हैं उनको खासतौर से संक्रमण का खतरा बना रहता है और उनमें रोग के लक्षण व संक्रमण ज्यादा तब्दीली देखने को मिल सकती है. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में 'जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ-इंडिया के कार्यकारी निदेशक और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अध्यक्ष प्रोफेसर विवेकानंद झा के हवाले से कहा गया है कि ऐसे मरीजों (गुर्दा रोग से पीड़ित) की स्थिति अन्य लोगों जैसी नहीं होती क्योंकि इन्हें ज्यादा खतरा होने के बावजूद हर सप्ताह दो या तीन बार डायलिसिस के लिए ले जाना ही पड़ेगा.

इसलिए कोरोनावायरस (Corona Virus) के संक्रमण से बचाने के लिए इनकों दूसरों से अलग-थलग और घर में ही नहीं रखा जा सकता है. लिहाजा, गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों में एक दूसरे से भी संक्रमण का खतरा रहता है और उनसे उनके परिवार के सदस्यों, मेडिकल स्टाफ और कर्मचारी व अन्य लोगों को संक्रमण का शिकार बनने का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा है कि कोविड-19 (नोवल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग) के संक्रमण में गुर्दा का संबंध अक्सर देखने को मिलता है और जब संक्रमण गंभीर होता है, तो यह मृत्यु दर का एक अलग कारक बन जाता है.

यह भी पढ़ें-Coron virus के संक्रमण को रोकने के उपाय को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की

डायलिसिस के मरीजों के परिजनों को कोविड-19 का संक्रमण से रहना होगा सावधान
चीन और भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप लिखा गया शोधपत्र 'नोवल कोरोनावायरस 2019 एपीडेमिक एंड द किडनीज' का प्रकाशन 'किडनी इंटरनेशनल' नामक जर्नल में हुआ है. शोधकर्ताओं का कहना है कि डायलिसिस के मरीजों के परिजनों को कोविड-19 का संक्रमण परिवार और दूसरे लोगों में फैलने से रोकने के लिए सावधानियों और रोकथाम के तरीकों का पालन सख्ती से करना चाहिए. इन सावधानियों में शरीर का तापमान मापना, बेहतर हाइजीन, हाथ धोना और बीमारी से ग्रस्त होने वाले लोगों के बारे में तुरंत बताना आदि शामिल है.

यह भी पढ़ें-VIDEO: बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर के खिलाफ FIR, यूपी सरकार ने दिए आदेश

गुर्दें की बीमारी वाले व्यक्ति में संक्रमण 15 फीसदी ज्यादा होने का डर
कोविड-19 के प्रति संवेदनशील लग रहे डायलिसिस के मरीजों की देखरेख में उपयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि संक्रमण दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों में न फैले. ये सभी दिशा-निर्देश इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की वेबसाइट पर विस्तार से दिए गए हैं. इससे पहले सार्स (एसएआरएस) और मर्स (एमईआरएस) कोरोनावायरस के संक्रमण की रिपोर्ट बताती है कि गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित पांच से 15 फीसदी मरीजों वायरस का संक्रमण पाया गया, जिनमें तकरीबन 60-90 फीसदी मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी. 

यह भी पढ़ें-Corona Virus के चलते दिल्ली के सभी बाज़ार कल से 3 दिन के लिए बंद रहेंगे

59 गुर्दे के मरीजों पर किया गया अध्ययन 
कोविड-19 संक्रमण की शुरुआती रिपोर्ट में गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित तीन से नौ फीसदी मरीजों में संक्रमण के मामले प्रकाश में आए हैं, लेकिन बाद की रिपोर्ट से गुर्दे की बीमारी की तीव्रता ज्यादा होने का संकेत मिलता है. कोविड-19 के 59 मरीजों के अध्ययन में पाया गया कि करीब दो-तिहाई मरीजों में अस्पताल में भर्ती के दौरान पेशाब के जरिए प्रोटीन का अत्यधिक रिसाव पाया गया.