केरल में निपाह वायरस (एनआईपी) से मरने वालों की संख्या गुरूवार को बढ़कर 15 हो गई। केंद्र व राज्य सरकार ने निपाह वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में केरल के कोझिकोड व मलप्पुरम में इस वायरस के होने की पहचान की गई है।
मरने वालों में निपाह वायरस के मरीजों का इलाज कर रही नर्स लिनी पुतुसेरी भी शामिल हैं।
निपाह वायरस स्वाभाविक रूप से कशेरुकी जानवरों से मनुष्यों तक फैलती है। यह रोग 2001 में और फिर 2007 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था। यह पुष्टि की गई है कि केरल के बाहर के लोगों को केवल तभी सावधान रहना चाहिए जब वे प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हों या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ रहे हों।
फल विक्रेताओं पर असर
केरल में फैले निपाह वायरस के कारण फल विक्रेताओं की बिक्री में कमी आई है। सूफी नाम के फल विक्रेता ने कहा, 'कम दामों में फल बेचने के बावजूद भी ग्राहक फल नहीं खरीद रहे है।'
ऐसे करे बचाव
चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें, पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी पीने वाली शराब पीने से बचें, बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें। अपने हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ करें और धोएं, आमतौर पर शौचालय के बाल्टी और मग, रोगी के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़े, बर्तन और सामान को अलग से साफ करें, निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने या चुंबन करने से बचें।
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Source : News Nation Bureau