केरल में एक 14 साल का लड़का अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (amoebic meningoencephalitis) की चपेट में आने से मारा गया.. बता दें कि, अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक दुर्लभ मस्तिष्क रोग है, जो दूषित पानी में पाए जाने वाले मुक्त-जीवित अमीबा के कारण होता है. मिली जानकारी के मुताबिक, लड़का तब इस अमीबा की गिरफ्त में आया, जब वह कोझिकोड के एक दूषित तालाब में नहा रहा था. मालूम हो कि, पिछले तीन महीनों में राज्य में संक्रमण से यह तीसरी मौत है.
इससे पहले, मई में मलप्पुरम की एक पांच साल की लड़की और जून में कन्नूर की एक 13 साल की लड़की की इस अमीबा की चपेट में आने से मौत हो चुकी है.
क्या है अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस मस्तिष्क का एक दुर्लभ रोग है, जो ज्यादातर मामलों में घातक संक्रमण साबित हुआ है. ये रोग मुक्त-जीवित एककोशिकीय यूकेरियोट नेगलेरिया फाउलेरी (eukaryote Naegleria fowleri) के कारण होता है.
इस अमीबा को आसान भाषा में "दिमाग खाने वाला अमीबा" या फिर "brain-eating amoeba" भी कहा जाता है. ये आम तौर पर दूषित पानी के माध्यम से लोगों को संक्रमित करता है, नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और फिर मस्तिष्क में चला जाता है, जहां यह तंत्रिका ऊतक (nerve tissue) पर फ़ीड करता है, जिसके कारण सूजन की शिकायत होती है. ध्यान रहे कि, ये बीमारी इंसान से इंसान में नहीं फैलती.
संक्रमण के लक्षण
मालूम हो कि, इस संक्रमण के शुरुआती लक्षण हैं - सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अतिरिक्त लक्षण प्रकट हो सकते हैं जैसे गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम, कोमा और लोगों और परिवेश के प्रति असावधानी. ये लक्षण आमतौर पर दूषित पानी के संपर्क में आने के 1 से 12 दिनों के भीतर शुरू होते हैं. वे तेजी से विकसित हो सकते हैं और लक्षण प्रकट होने के 5 से 18 दिनों के भीतर संक्रमण घातक हो सकता है.
आंकड़े बताते हैं कि, दुनिया में दूषित पानी के संपर्क में आने वाले 10 लाख लोगों में से 2.6 लोग संक्रमण का शिकार होते हैं.
Source : News Nation Bureau