विंटर में हो रही ड्राई आई से रहें एलर्ट, आंखों को डायरेक्ट हवा के संपर्क में न आने दें

ड्राई आई का मतलब वैसी आंख से है जब आंख में स्थित आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निमार्ण नहीं कर पातीं

ड्राई आई का मतलब वैसी आंख से है जब आंख में स्थित आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निमार्ण नहीं कर पातीं

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Drigraj Madheshia
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विंटर में हो रही ड्राई आई से रहें एलर्ट, आंखों को डायरेक्ट हवा के संपर्क में न आने दें

आंखों को ऐसे बचाएं

सर्दी का मौसम हर लिहाज से अच्छा माना जाता है फिर चाहे वह स्वास्थ्य के लिहाज से हो या फिर फैशन के लिहाज से.जहां आप बिना डरे हर तरह का खाना खाने से खुद को रोक नहीं पाते, वहीं फैशन करने में भी यह मौसम आड़े नहीं आता, लेकिन कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो इस मौसम में परेशान कर सकती है और वह है आंखों में सूखेपन की समस्या यानी ड्राई आई की प्रॉब्लम.जी हां, ड्राई आई का मतलब वैसी आंख से है जब आंख में स्थित आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निमार्ण नहीं कर पाती.यह समस्या सर्दी के मौसम में ज्यादा होती है.यह बीमारी कनेक्‍टिव टिशू के डिसआर्डर होने से होती है.यह समस्या अधिक होने की स्थीति में आंख की सतह को नुकसान पहुंचा सकती है और जिसके परिणामस्वरूप अंधेपन की समस्या भी हो सकती है.यह समस्या से ग्रसित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण दिखाई पड़ते हैं.

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सेंटर फॉर साइट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ रितिका सचदेव का कहना है कि आंखो में सूखेपन जैसा महसूस होना, आंखों में खुजली व जलन का एहसास, हर वक्त आंखों को मलते रहना, ऐसा महसूस होना कि जैसे की आंखों में कंकड़ घुस गया हो,आंखों से बिना कारण पानी का निकलते रहना, बिना कारण आंखों का थक जाना या सूजन के फलस्वरूप सिकुड़ कर छोटा हो जाना.मौसम के अलावा आंखों के ड्राई होने के और भी कई कारण हो सकते हैं.विटामिन सी की कमी के कारण, महिलाओं में मेनोपॉज के बाद, कुछ दवाओं जैसे सल्फा ग्रुप इत्यादि के एलर्जी रीएक्शन के कारण, एलर्जी की समस्या से ग्रसित होने पर, कुछ बीमारी जैसे की थॉयरायड जैसी समस्या होने पर, लंबे समय तक बिना पलक झपकाएं कंप्यूटर पर काम करते रहने से, अधिक देर तक टीवी देखने व उच्च स्तर के प्रदूषण के कारण.

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डॉ रितिका सचदेव का कहना है कि ड्राई आई की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए उपचार के तौर पर अभी तक केवल आंखों में चिकनाई उत्पन्न करने वाला ड्राप बना है.लेकिन इस दिशा में और भी कुछ नए संभावित विकल्प के तौर पर उभर कर सामने आएं हैं.रोगियों में कनेकटिव-टिशू डिसआर्डर होने पर उनको वायरायड पैबौलॉजी करनी चाहिए.यह 40- 50 प्रतिशत मामलों में मददगार हो रहा है.यह आंखों में चिकनाई लाने वाली आई ड्राप्स की आवश्यकता को कम करता है.

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दूसरा विकल्प पंकटल प्लग का है.यह काफी छोटी प्लग होती है, जो आंसू के श्राव को बंद कर देती है.यह मुलायम सिमीकन की बनी होती है तथा इसे आसानी से लगाया जा सकता है.यह आंसूओं को रोकने में मदद करती है जिससे की आंखों में नमी बरकरार रहें.इसके अलावा इस समस्या से ग्रसित लोगों को निम्मन बातों का ध्यान रखना चाहिए.आंखों को डायरेक्ट हवा के संपर्क में न आने दें.इससे बचने के लिए चश्में का इस्तेमाल करें.कंप्यूटर पर काम करने के दौरान बीच-बीच में पलक झपकाना नहीं भूलें यदि कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक बार अपने आंखों के डॉक्टर के पास जाएं.

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हेयर ड्रायर, कार हिटर, एसी ब्लोअर और पंखे से आंख को दूर रखें.धूम में जाने से पहले आंखों को कवर करना ना भूलें.सर्दी के मौसम में कमरे को गर्म रखने वाले उपकरणों से आंखों को बचाएं.इसके लिए हीटर के पास एक मग पानी रख दें ताकि रूम में नमी बनी रहें.कुछ लोग विशेष प्रकार के डिजायन किए गए ग्लास का उपयोग करते है.यह आंखों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.आंखों में जलन या खुजली महसूस होने पर इसे रगड़ने के बजाय आंखों पर ठंडे पानी से छींटे मारे।

Source : News Nation Bureau

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