Karnataka Gobhi Manchrian Ban: कर्नाटक के लोग नहीं ले सकेंगे गोभी मंचूरियन का मजा, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान
Karnataka Gobhi Manchrian Ban: कर्नाटक सरकार ने गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी में होने वाले फूड कलरिंग केमिकल को बैन कर दिया है. आइए जानें स्वास्थ्य के लिए ये कितना नुकसानदायक है.
नई दिल्ली:
Karnataka Gobhi Manchrian Ban: कर्नाटक सरकार ने हाल ही में खाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ रंगों पर बैन लगा दिया है. इस निर्णय का मुख्य कारण है कि जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि इन आर्टिफिशियल रंगों में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की वजह बनने वाले रसायन मिल रहे हैं. कर्नाटक सरकार के इस निर्णय के पहले गोवा, महाराष्ट्र, पुदुचेरी, और तमिलनाडु ने भी इन आर्टिफिशियल रंगों पर बैन लगाया था. कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर में 171 गोभी मंचूरियन और 25 कॉटन कैंडी के सैंपल की जांच की. इन जांचों में पाया गया कि 107 गोभी मंचूरियन और 15 कॉटन कैंडी के सैंपल में आर्टिफिशियल रंग मिला. ये रंग कैंसर की वजह बनने वाले एडिटिव्स रोडामाइन-बी और टार्ट्राजीन थे. इन केमिकल्स का नियमित इस्तेमाल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है. कर्नाटक सरकार ने इस प्रकार के केमिकल का प्रयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया है. इसके अनुसार, इन केमिकल्स का प्रयोग करने वालों को 7 साल की जेल और 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
रोडामाइन-बी (Rhodamine B) क्या होता है
रोडामाइन-बी (Rhodamine B) एक हानिकारक केमिकल रंग है जो खासकर रंगीन और फ्लोरेस्सेंट द्रव्यों में प्रयोग किया जाता है. यह मोलेक्यूलर कंपाउंड होता है जिसे लकड़ी, पेपर, प्लास्टिक, और कपड़े को रंगीन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. रोडामाइन-बी का इस्तेमाल कुछ खाद्य पदार्थों को रंगने में भी किया जाता है. यह केमिकल अपने हरे रंग के लिए जाना जाता है, जो तरल पदार्थों के संपर्क में आने पर अपने मूल रंग से गुलाबी रंग में बदल जाता है. हालांकि, इसका अधिक इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. कुछ रिसर्च में पाया गया है कि फूड आइटम में रोडामाइन-बी का उपयोग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, यही कारण है कि कुछ देशों ने इसके उपयोग पर बैन लगा दिया है. इसी क्रम में भारत के कुछ राज्य भी शामिल हो गए है.
टार्ट्राजीन (Tartrazine) क्या होता है
टार्ट्राजीन (Tartrazine) एक प्रमुख फूड कलरिंग एजेंट है जो अक्सर खाद्य पदार्थों को रंगीन करने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह एक प्रकार का सिंथेटिक रंग होता है और अक्सर पीले या नीले रंग में पाया जाता है. इसे E102 के रूप में भी जाना जाता है, जो खाद्य में उपयोग किए जाने वाले आपूर्तिक कोड है. यह रंग विभिन्न खाद्य उत्पादों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि चिप्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, केक, बिस्किट्स, स्नैक्स, और अन्य प्रकार के पैकेज्ड खाद्य पदार्थ. इसका उपयोग आमतौर पर उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों की रंगीनता और अनुभव को बढ़ाने के लिए किया जाता है. हालाँकि, कुछ लोगों को टार्ट्राज़िन से संभावित दुष्प्रभाव का अनुभव हो सकता है, जैसे त्वचा पर चकत्ते, आंखों में जलन या एलर्जी प्रतिक्रियाएं. इसलिए, कुछ लोग इस रंग के इस्तेमाल से बचने की सलाह देते हैं, खासकर उन लोगों को जिन्हें एलर्जी होने का खतरा होता है.
फूड प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रंग
बीटा-कैरोटीन (Beta-Carotene): यह एक प्राकृतिक रंग है जो गाजर, पपीता, आम और अन्य फलों और सब्जियों में पाया जाता है. बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है.
एनिलाइन (Aniline): यह एक अन्य सिंथेटिक रंग है जो खाद्य में उपयोग होता है और अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है.
नाइट्रिट (Nitrites): ये रंग और आवक में प्रयोग होते हैं, जैसे कि बीफ, बेकन, सौसेज आदि में, और इसका अधिक सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है.
एसेसलफेम-के (Acesulfame-K): यह एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है जो कुछ खाद्य में पाया जाता है, और अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है.
हानिकारक फूड कलर का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. यदि आपको किसी खाद्य आइटम में किसी विशेष रंग के बारे में चिंता है, तो एक चिकित्सक से परामर्श करना उचित होगा.
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