कोरोना से बचाव के लिए गोवा में युवाओं को दी जाएगी 'आइवरमेक्टिन' टैबलेट, जानें कितनी सुरक्षित है ये दवा
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सोमवार को बताया कि राज्य सरकार ने नए कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को मंजूरी देते हुए 18 वर्ष से ज्यादा आयु के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन दवा की 5 गोलियां लेने की सलाह दी है.
highlights
- गोवा ने दी 'आइवरमेक्टिन' को इजाजत
- विशेषज्ञों के हिसाब से कोरोना में असरदार है 'आइवरमेक्टिन'
- WHO ने 'आइवरमेक्टिन' के इस्तेमाल का विरोध किया
नई दिल्ली:
पूरी दुनिया सहित भारत में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में कोरोना मरीजों की मौत हो रही है. ऐसे में हाल ही में गोवा में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन (ivermectin) दवा देने की घोषणा की गई है. गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सोमवार को बताया कि राज्य सरकार ने नए कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को मंजूरी देते हुए 18 वर्ष से ज्यादा आयु के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन दवा की 5 गोलियां लेने की सलाह दी है. गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'मैंने प्रोफिलैक्सिस (बीमारी को रोकने के लिए की गई कार्रवाई) के तुरंत कार्यान्वयन के निर्देश दिए हैं.' मंत्री ने कहा कि यह इलाज कोरोना संक्रमण को नहीं रोकेगा लेकिन यह गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है.
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राणे ने आगे बताया, 'आइवरमेक्टिन 12एमजी टैबलेट सभी जिला, उप-जिला, पीएचसी, सीएचसी, उप-स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण औषधालयों में लोगों को तुरंत इकट्ठा करके और उपचार शुरू करने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, चाहे किसी को कोई भी लक्षण हों या नहीं हों.'
रिसर्चर्स का भी मानना है कि 'आइवरमेक्टिन' के लगातार इस्तेमाल से कोविड का खतरा काफी कम हो सकता है. रिसर्चर्स ने उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा के बाद यह बात कही है. उनका दावा है कि यह दवा महामारी को समाप्त करने में मददगार साबित हो सकती है. 'अमेरिकन जर्नल ऑफ थेरेप्यूटिक्स' के मई-जून संस्करण में प्रकाशित इस शोध में आइवरमेक्टिन के उपयोग को लेकर इकट्ठे किए गए उपलब्ध आंकड़ों की बेहद बारीकी से समीक्षा की गई है. हालांकि WHO ने इस बात का खंडन किया है.
क्या है आइवरमेक्टिन ?
आइवरमेक्टिन (Ivermectin) एक एंटी पैरासिटिक ड्रग (anti-parasitic drug) है, जो कि पेट के इंफेक्शन जैसे कि राउंडवॉर्म इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. एक तरह से आप इसे पेट के कीड़े को मारने वाली दवाई कह सकते हैं. व्यापक तौर पर इसका उपयोग आंतों के स्ट्रॉग्लोडायसिस (strongyloidiasis) और ऑन्कोकेरिएसिस (onchocerciasis) के रोगियों के लिए किया जाता है.
कैसे हुई थी इसकी खोज ?
आइवरमेक्टिन की खोज साल 1975 में की गई थी जिसे साल 1981 में लोगों के इस्तेमाल के लिए उतारा गया. इस दवा को व्यापक रूप से दुनिया की पहली एंडोक्टोसाइड यानी एंटी पैरासाइट दवा के रूप में जाना जाता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दवा शरीर के भीतर और बाहर, मौजूद परजीवी के खिलाफ बेहद असरदार साबित हो सकती है. इसके बाद साल 1988 में ऑन्कोकेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) नामक बीमारी के लिए भी इसे प्रयोग में लाया गया.
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FLCCC ने आइवरमेक्टिन को माना असरदार
FLCCC के अध्यक्ष और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पियरे कोरी कहते हैं कि, हमने आइवरमेक्टिन दवा के उपलब्ध आंकड़ों की व्यापक समीक्षा की है. कई स्तरों पर की गई समीक्षा और डाटा के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि इवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस की इस गंभीर महामारी को खत्म करने में सहायक साबित हो सकता है.
WHO ने किया विरोध
गोवा सरकार (Goa Government) ने कोरोना मरीजों के इलाज में आइवरमेक्टिन (Ivermectin) दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दे थी. लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामिनाथन ने इस दवा के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है. उनके मुताबिक ये दवाई सुरक्षित नहीं है. सौम्या स्वामिनाथन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'WHO आइवरमेक्टिन दवाई के इस्तेमाल के खिलाफ है. किसी भी दवा की सुरक्षा और साथ ही वो कितनी प्रभावी है इसका ध्यान भी रखा जाना चाहिए. स्वामिनाथन के मुताबिक इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ क्लीनिकल ट्रायल में होनी चाहिए.' उन्होंने अपने ट्वीट में मर्क नाम की कंपनी का एक बयान भी अटैच किया है जिसमें इस दवा के बारे में बताया गया है.
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