भारत का सर्जरी बाजार 2025 तक 80 अरब डॉलर तक पहुंचने के आसार
न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) बाजार वित्तीय वर्ष 2025 तक 80 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
नई दिल्ली:
किफायती देखभाल की बढ़ती मांग के साथ, न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) बाजार वित्तीय वर्ष 2025 तक 80 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसकी जानकारी सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट में दी गई है. एमआईएस में कोई भी सर्जिकल प्रक्रिया शामिल है जो बड़े होल के बजाय छोटे चीरों के माध्यम से की जाती है. सबसे आम एमआईएस सर्जरी में लैप्रोस्कोपी (एपेंडिसाइटिस, हर्निया और पित्त पथरी), स्त्री रोग (हिस्टेरेक्टॉमी, योनि पुटी हटाने), मूत्रविज्ञान (गुर्दे की पथरी और प्रोस्टेट) और नेत्र विज्ञान (मोतियाबिंद और लेसिक) शामिल हैं. जीवनशैली की बीमारियों में वृद्धि और सरकारी नीतियों जैसे कारक इस क्षेत्र के विकास को गति देंगे.
बेंगलुरु स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर के अनुसार, 'आने वाले वर्षों में जागरूकता में वृद्धि के साथ, इन सर्जरी को करने के लिए कुशल चिकित्सा पेशेवरों की संख्या में वृद्धि होगी, इन सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि होगी.' रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से, चूंकि सर्जरी की लागत तुलनात्मक रूप से कम है, इसलिए इन प्रक्रियाओं से छोटे शहरों और कस्बों में अधिक मांग होगी, जहां सामथ्र्य एक बड़ी बाधा है. कुल मिलाकर भारतीय स्वास्थ्य सेवा बाजार जो वित्त वर्ष 2020 में 150 अरब डॉलर था, अगले पांच वर्षों में 300 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है.
निष्कर्षों से पता चलता है कि बढ़ते शहरीकरण के साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता, आसान पहुंच, जीवनशैली की बीमारियों में वृद्धि और सरकारी नीतियों जैसे कारक इस क्षेत्र के विकास को गति देंगे. वर्तमान में, खर्च का 70 प्रतिशत, यानी 105 बिलियन डॉलर, इन पेशेंट देखभाल पर है जिसे केवल 70,000 अस्पतालों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इसके अलावा, 70 प्रतिशत से अधिक इनपेशेंट केयर मार्केट सर्जरी के नेतृत्व में है.
रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, केवल 22,000 अस्पताल ही इन सर्जरी को करने में सक्षम हैं. इनमें कॉरपोरेट चेन अस्पताल, मध्यम आकार और छोटे आकार के अस्पताल शामिल हैं. इसमें से निजी और बड़े पैमाने के अस्पताल एमआईएस के लिए सबसे बड़े प्रदाता हैं जो इसे एक बड़ी चुनौती बनाते हैं. भारत का स्वास्थ्य उद्योग महामारी की दूसरी लहर में अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. रेडसीर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्षों में समग्र उद्योग में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन उद्योग अभी भी कई आवश्यक क्षेत्रों में पिछड़ रहा है.
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