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IMA demand( Photo Credit : social media)
भारतीय चिकित्सा संघ ने कर-आधारित स्वास्थ्य वित्तपोषण प्रणाली का पक्ष लेते हुए बजट में वित्तीय संसाधनों के आवंटन में बढ़ोतरी की मांग की है. चिकित्सा निकाय ने बीते शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भी लिखा है. चिकित्सा संघ ने स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च कम होने का संकेत देते हुए कहा कि विभिन्न सरकारों की ओर से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1.1 से 1.6 प्रतिशत के बीच आवंटन दुनिया में सबसे निचले स्तर पर है. संघ ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए वित्तीय संसाधनों के आवंटन में बढ़ोतरी की मांग की है.
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न्यूनतम आवंटन सकल घरेलू उत्पाद का करीब 2.5 प्रतिशत होना चाहिए
इस वर्ष के केन्द्रीय बजट के लिए वित्त मंत्रालय से अपील की गई है कि पेयजल और स्वच्छता जैसे स्वास्थ्य निर्धारकों को लेकर किए गए व्यय को अलग से देना चाहिए. चिकित्सा संघ ने मांग की है कि अकेले स्वास्थ्य के लिए न्यूनतम आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 2.5 प्रतिशत होना चाहिए. आईएमए के अनुसार, भारत का पूरा स्वास्थ्य व्यय (सार्वजनिक और निजी) वर्तमान में उसके सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 प्रतिशत तक होने का अनुमान है. ये निम्न या मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के सकल घरेलू उत्पाद के औसत स्वास्थ्य व्यय हिस्से से करीब 5.2 प्रतिशत कम है.
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खास मांगों में संघ ने सभी नागरिकों के लिए बुनियादी पैकेज के साथ कर-वित्तपोषित सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की मांग की है. इसने सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों में निवेश, स्वास्थ्य के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत आवंटन, बाह्य रोगी देखभाल और दवाओं की लागत को कवर करने को लेकर पीएमजेएवाई की पुनर्संरचना और प्रत्यक्ष रोगी हस्तांतरण, सह-भुगतान और प्रतिपूर्ति मॉडल की सुविधा आदि की मांग की. आईएमए ने सुझाव दिया कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने को लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र को विवेकपूर्ण तरह से बढ़ावा देना चाहिए. इसके साथ उद्योग, शिक्षा और कृषि की तरह इसे प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनाया जाना चाहिए.
Source : News Nation Bureau