logo-image

वैक्‍सीन बनाने में देश के नाम एक और उपलब्‍धि, IIT BHU ने बनाई 'कालाजार' का टीका

गंभीर बीमारी कालाजार जो मच्छरों से फैलता है, उसके लिए संजीवनी आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने खोज निकाली है.

Updated on: 25 Jan 2021, 06:06 PM

वाराणसी :

गंभीर बीमारी कालाजार जो मच्छरों से फैलता है, उसके लिए संजीवनी आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने खोज निकाली है. भारत समेत एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका जैसे देशों में गंभीर रूप लेती कालाजार बीमारी के खिलाफ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (IIT BHU) एक आशा की किरण के रूप में उभरा है. IIT BHU स्थित स्कूल आफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग ने कालाजार की वैक्सीन बना दी है, जिसका पहला चरण कामयाब भी हो चुका है. 

वैज्ञानिकों ने तीन साल की मेहनत के बाद वैक्सीन तैयार की है. वैक्सीन का सफल परीक्षण भी किया गया है. इस बीमारी के खिलाफ पूरी दुनिया में अब तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है. कुछ मुट्ठी भर दवाओं से इस गंभीर बीमारी का इलाज किया जाता है. WHO के लिए गंभीर चिंता का विषय बने कालाजार के खिलाफ यह टीका संजीवनी बनकर सामने आया है.

IIT BHU स्थित स्कूल आफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर विकास कुमार दुबे का कहना है कि टीकाकरण किसी भी संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है. वैक्सीन ds अणु हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को रोगों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते हैं और शरीर में कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करते हैं, जिससे एंटीबॉडी, साइटोकिन्स डेवलप होते हैं. ये सब हमें संक्रमण से बचाते हैं और दीर्घकालिक सुरक्षा देते हैं. लीशमैनियासिस के पूर्ण उन्मूलन के लिए यह टीका बेहद कारगर होगा. 

उन्होंने बताया कि इस टीके की रोगनिरोधी क्षमता का मूल्यांकन चूहों के मॉडल में प्रीक्लिनिकल अध्ययनों में किया गया था. टीका लगाए गए चूहों में परजीवी के बोझ को साफ करने से वैक्सीन के सफलता की संभावना प्रबल हो जाती है और पहले स्‍टेज में यह टीका सफल रहा. अब इसका ह्यूमन ट्रायल होगा और फिर यह आम आदमी के लिए उपलब्ध होगा. IIT BHU के वैज्ञानिक बताते हैं कि यह हमारे लिए बड़ा चैलेंज था, जिसे हमने पूरा कर दिखाया.