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कहीं आप भी तो नहीं हो रहे डिप्रेशन के शिकार, ऐसे पहचानें

जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है को उसके फिजिकल सिम्टम्स में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति थका हुआ रहता है और वह काफी धीरे बोलकर बात करते हैं. उसकी नींद में भी बदलाव हो जाता है और वह देर रात तक जगते रहते हैं.

Updated on: 15 Jun 2020, 03:53 PM

नई दिल्ली:

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajpoot) की मौत से सभी स्तब्ध हैं. किसी को एकाएक अभी तक यकीन नहीं हो रहा कि सुशांत सिंह राजपूत जैसा दिलकश अदाकार ऐसा कदम उठा सकता है. सुशांत के करीबियों का कहना है कि वह काफी समय से डिप्रेशन में थे. उनकी इलाज भी चल रहा था. दरअसल किसी भी व्यक्ति के डिप्रेशन में होने पर उसके स्वभाव में कुछ बदलाव आते हैं. इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. आपके आसपास भी कई ऐसे लोग होते हैं जो डिप्रेशन के शिकार हैं, लेकिन कभी भी उनके चेहरे से यह बातें सामने नहीं आ पाती और वह किसी गलत कदम को उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

ये आते हैं बदलाव
जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है को उसके फिजिकल सिम्टम्स में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति थका हुआ रहता है और वह काफी धीरे बोलकर बात करते हैं.  उसकी नींद में भी बदलाव हो जाता है और वह देर रात तक जगते रहते हैं. वहीं दूसरी ओर सोशल सिम्टम्स में ऐसे व्यक्ति लोगों और दोस्तों के कॉन्टेक्ट में आने से बचते हैं और समाज से जुड़ी किसी भी एक्टिविटी में भी हिस्सा नहीं लेते हैं. वह अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल आदतों को भी छोड़ देते हैं. उन्हें परिवार के साथ समय बिताने में भी असहजता महसूस होती है.

तनाव और अकेलापन
डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति हमेशा उदास रहते हैं. हालांकि, किसी मजाक पर उन्हें हंसी तो जरूर आती है, लेकिन 2 मिनट में उनका चेहरा फिर उदासी में चला जाता है. कारण पूछने पर वह अक्सर कोई बहाना बनाकर इस बारे में बात करना नहीं चाहते. डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक अकेले वक्त गुजारना ही ठीक समझते हैं. वह लोगों की भीड़ से बचते हैं और अपने आप को बंद कमरे में कैद रखना पसंद करते हैं.

क्या होता है डिप्रेशन?
दरअसल डिप्रेशन एक मेंटल डिसऑर्डर है, जो तुरंत किसी व्यक्ति पर हावी नहीं होता है. बल्कि इसके अलग-अलग चरण यानी फेज़ होते हैं. अगर किसी व्यक्ति में कुछ लक्षणों के आधार पर शुरुआती स्तर पर ही इसकी पहचान हो जाए तो व्यक्ति को गंभीर डिप्रेशन में जाने से बचाया जा सकता है. सबसे पहले व्यक्ति को स्ट्रेस यानी तनाव होता है. इसका कारण सामाजिक, आर्थिक या भावनात्मक कुछ भी हो सकता है. स्ट्रेस को कम करने का प्रयास ना किया जाए तो यह एंग्जाइटी में बदल जाता है. यदि एंग्जाइटी लंबे समय तक बनी रहे और उसका ट्रीटमेंट ना हो तो वह डिप्रेशन का रूप ले लेती है.