Ischemic Cerebrovascular Stroke: आईस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक कितनी तरह के होते हैं, जानें इसका उपचार
Ischemic Cerebrovascular Stroke: आईस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के लक्षणों में मुख्य रूप से एक भाग की असामान्यता, चेहरे की मुद्रा या अंगों में कमी, भाषा और भाषा समझने की कठिनाई, दौड़ने और बोलने में कठिनाई, या आंखों की धड़कन समेत हो सकती है.
नई दिल्ली :
Ischemic Cerebrovascular Stroke: आईस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक एक तरह की ब्रेन स्ट्रोक होती है जो शिरायु की रक्तप्रवाह को बंद कर देती है, जिससे ब्रेन के किसी भाग का खोना होता है. इसका मुख्य कारण आधिकतम धमनी में थकावट, धमनी का ब्लॉकेज, या धमनी का फटना होता है. इस स्थिति में, ब्रेन को ऑक्सीजन और पोषण की कमी होती है, जिससे ब्रेन का आपूर्ति क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है और इससे ब्रेन का अंश मर जाता है. आईस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के लक्षणों में मुख्य रूप से एक भाग की असामान्यता, चेहरे की मुद्रा या अंगों में कमी, भाषा और भाषा समझने की कठिनाई, दौड़ने और बोलने में कठिनाई, या आंखों की धड़कन समेत हो सकती है. इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक का उपचार आमतौर पर त्वचा और दवाओं के माध्यम से किया जाता है, लेकिन कई मामलों में चिकित्सक द्वारा सर्जिकल इंटरवेंशन की भी आवश्यकता हो सकती है. यह स्थिति गंभीर हो सकती है और त्वरित चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है. इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह के रुकावट के कारण होता है. यह रक्त के थक्के या धमनी में वसा के जमा होने के कारण हो सकता है. मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचाता है जिसे रक्त की आपूर्ति नहीं मिल रही है.
इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के प्रकार
थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक: यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है. यह तब होता है जब रक्त का थक्का मस्तिष्क में एक धमनी को अवरुद्ध कर देता है.
एम्बोलिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब रक्त का थक्का शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में जाता है और एक धमनी को अवरुद्ध कर देता है.
लैकुनेर स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में छोटी धमनियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.
इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के लक्षण: चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी: यह स्ट्रोक का सबसे आम लक्षण है. यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण होता है जो शरीर के उस हिस्से को नियंत्रित करता है.
भ्रम: यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है जो सोच और स्मृति को नियंत्रित करता है.
बोलने में परेशानी: यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है जो भाषण को नियंत्रित करता है.
चलने में परेशानी: यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है जो समन्वय और संतुलन को नियंत्रित करता है.
एक या दोनों आंखों में दृष्टि की हानि: यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है जो दृष्टि को नियंत्रित करता है.
सिरदर्द: यह स्ट्रोक का एक आम लक्षण नहीं है, लेकिन यह हो सकता है.
इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के जोखिम कारक:
उच्च रक्तचाप: यह स्ट्रोक का सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक है.
उच्च कोलेस्ट्रॉल: यह स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है.
मधुमेह: यह स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है.
धूम्रपान: यह स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है.
अनियमित व्यायाम: यह स्ट्रोक का एक जोखिम कारक है.
अतिरिक्त वजन या मोटापा: यह स्ट्रोक का एक जोखिम कारक है.
एट्रियल फिब्रिलेशन: यह एक प्रकार का अनियमित दिल का धड़कन है जो स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है.
कैरोटिड धमनी रोग: यह कैरोटिड धमनियों, जो मस्तिष्क में रक्त ले जाते हैं, में सख्त या संकीर्ण होने की स्थिति है.
पेरिफेरल धमनी रोग: यह पैरों की धमनियों में सख्त या संकीर्ण होने की स्थिति है.
इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक का उपचार
एंटीप्लेटलेट दवाएं: ये दवाएं रक्त के थक्कों को बनने से रोकने में मदद करती हैं.
एंटीकोआगुलेंट दवाएं: ये दवाएं रक्त को पतला करती हैं.
थ्रोम्बोलिटिक दवाएं: ये दवाएं रक्त के थक्कों को तोड़ने में मदद करती हैं.
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