logo-image

कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ कितनी असरदार है Covaxin? शोध में हुआ ये खुलासा

पीयर-रिव्यू पब्लिकेशन, क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज ने एक अध्ययन में बताया है कि भारत में ही विकसित की गई कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन ( Covaxin ) नए कोविड -19 वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा प्रदर्शित करता है.

Updated on: 17 May 2021, 09:54 AM

highlights

  • कोवैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ असर
  • 'नए वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन देती है सुरक्षा'
  • कोवैक्सीन को लेकर हुए शोध में खुलासा

नई दिल्ली:

दुनिया में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन सामने आए हैं. भारत में भी कोविड के नए वेरिएंट मिले हैं. जिसके बाद वैक्सीन के इन वेरिएंट पर असर को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. भारत की स्वदेशी वैक्सीन के कोरोना नए वैरिएंट के खिलाफ प्रभाव को लेकर भी सवाल उठे. हालांकि इसको लेकर अब एक अध्ययन में खुलासा हुआ है. पीयर-रिव्यू पब्लिकेशन, क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज ने एक अध्ययन में बताया है कि भारत में ही विकसित की गई कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन ( Covaxin ) नए कोविड -19 वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा प्रदर्शित करता है. एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत बायोटेक के कोवैक्सीन ने कोरोनावायरस के उभरते हुए रूपों के खिलाफ गतिविधि को बेअसर कर दिया है.

यह भी पढ़ें : DRDO की कोरोना दवा 2-DG कैसे और कितनी मात्रा में लेना होगी, जानिए 

क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कोवैक्सीन के साथ टीकाकरण ने बी 1617 और बी 117 सहित परीक्षण किए गए सभी प्रमुख उभरते प्रकारों के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग टाइटर्स का उत्पादन किया, जिन्हें पहले क्रमश: भारत और यूके में पहचाना गया था. यह अध्ययन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से किया गया था. 

देखें : न्यूज नेशन LIVE TV

गौरतलब है कि कोवैक्सीन एक स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने विकसित किया है. देशभर में इस वैक्सीन की डोज मरीजों को लगाई जा रही है. हाल ही में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने अपने निर्माता भारत बायोटेक लिमिटेड को दो से 18 साल के आयु वर्ग में कोवैक्सिन (कोविड वैक्सीन) के दूसरे-तीसरे फेज के क्लिनिकल परीक्षण को भी मंजूरी दी थी.

यह भी पढ़ें : कोविशील्ड की दो डोज के बीच कितना होगा अंतर, जान लें नया निर्देश

सावधानीपूर्वक परीक्षा के बाद डीसीजीआई ने विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिश को स्वीकार किया और फिर देश के राष्ट्रीय ड्रग रेगुलेटर ने सबसे कम उम्र के युवा समूह में क्लिनिकल ट्रायल आयोजित करने की मंजूरी दी, ताकि उन्हें घातक महामारी के प्रकोप से बचाया जा सके. हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने दो से 18 साल के आयु वर्ग में कोवाक्सिन के दूसरे-तीसरे चरण का परीक्षण करने का प्रस्ताव दिया था.