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ब्लैक फंगस कैसे होता है, कोरोना से क्या संबंध है और इससे कैसे बचा जा सकता है....जानिए सब कुछ

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस, एक फंगल संक्रमण है जो कुछ कोविड-19 मरीजों में बीमारी से ठीक होने के दौरान या बाद में पाया जा रहा है.

Updated on: 15 May 2021, 08:02 AM

नई दिल्ली:

अब जब हम खुद को कोविड-19 से बचाने और उससे लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, फंगस से पैदा होने वाला एक और खतरा सामने आया है जिसके बारे में हमें जानना चाहिए एवं उस पर कार्रवाई करनी चाहिए. म्यूकोर्मिकोसिस, एक फंगल संक्रमण है जो कुछ कोविड-19 मरीजों में बीमारी से ठीक होने के दौरान या बाद में पाया जा रहा है. दो दिन पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, राज्य में इस फंगल संक्रमण से पहले ही 2000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. 10 लोगों ने तो इसकी चपेट में आकर दम भी तोड़ दिया. कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी भी चली गई. महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार समेत कई राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं.

म्यूकोर्मिकोसिस कैसे होता है?

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस, फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है. लोग वातावरण में मौजूदफंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस की चपेट में आते हैं. शरीर पर किसी तरह की चोट, जलने, कटने आदि के जरिए यह त्वचा में प्रवेश करता है और त्वचा में विकसित हो सकता है.

कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे मरीजों में इस बीमारी के होने का पता चल रहा है. इसके अलावा, जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए एक परामर्श के अनुसार, कोविड-19 रोगियों में निम्नलिखित दशाओं से म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है:

  • अनियंत्रित मधुमेह
  • स्टेरॉयड के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
  • लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना
  • सह-रुग्णता/अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर
  • वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है)

इसका कोविड-19 से क्या संबंध है?

यह बीमारी म्यूकोर्मिसेट्स नामक सूक्ष्म जीवों के एक समूह के कारण होती है, जो पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं, और ज्यादातर मिट्टी में तथा पत्तियों, खाद एवं ढेरों जैसे कार्बनिक पदार्थों के क्षय में पाए जाते हैं. सामान्य तौर पर, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे फंगल संक्रमण से सफलतापूर्वक लड़ती है, लेकिन हम जानते हैं कि कोविड-19 हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है. इसके अलावा, कोविड-19 मरीजों के उपचार में डेक्सामेथासोन जैसी दवाओं का सेवन शामिल है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया पर असर डालता है. इन कारकों के कारण कोविड-19 मरीजों को म्यूकोर्मिसेट्स जैसे सूक्ष्म जीवों के हमले के खिलाफ लड़ाई में विफल होने के नए खतरे का सामना करना पड़ता है.

इसके अलावा, आईसीयू में ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया जाता है, वहां ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे कोविड मरीजों को नमी के संपर्क में आने के कारण फंगल संक्रमण का खतरा होता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोविड मरीज म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित हो जाएगा. जिन मरीजों को मधुमेह नहीं है, उन्हें यह बीमारी होना असामान्य है लेकिन अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है. ठीक होने की संभावना बीमारी के जल्दी पता चलने और उपचार पर निर्भर करती है.

सामान्य लक्षण क्या हैं?

हमारे माथे, नाक, गाल की हड्डियों के पीछे और आंखों एवं दांतों के बीच स्थित एयर पॉकेट में त्वचा के संक्रमण के रूप में म्यूकोर्मिकोसिस दिखने लगता है. यह फिर आंखों, फेफड़ों में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी फैल सकता है. इससे नाक पर कालापन या रंग मलिन पड़ना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और खून की खांसी होती है.
आईसीएमआर ने सलाह दी है कि बंद नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, खासकर कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान या बाद मेंबंद नाक के मामलों को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए. फंगल संक्रमण का पता लगाने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए.

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

जहां संक्रमण सिर्फ एक त्वचा संक्रमण से शुरू हो सकता है, यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी शामिल है. कुछ रोगियों में, इससे ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख की भी हानि हो सकती है. इलाज में अंतःशिरा एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है. चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इलाज करने के लिए सूक्ष्म जीवविज्ञानी, आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञों, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन और अन्य की एक टीम की आवश्यकता होती है.

म्यूकोर्मिकोसिस को कैसे रोकें?

मधुमेह को नियंत्रित करना आईसीएमआरद्वारा सुझाए गए सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है. इसलिए, मधुमेह से पीड़ित कोविड-19 रोगियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. अपने आप दवा लेना एवं स्टेरॉयड की अधिक खुराक लेना घातक हो सकता है और इसलिए डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने स्टेरॉयड के अनुचित उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में कहा: 'स्टेरॉयड कभी भी कोविड-19 के शुरुआती चरण में नहीं दिया जाना चाहिए. संक्रमण के छठे दिन के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए. मरीजों को दवाओं की उचित खुराक पर टिके रहना चाहिए और डॉक्टरों द्वारा सलाह के अनुसार दवा को तय समय तक लेना चाहिए. दवा के प्रतिकूल दुष्प्रभावों से बचने के लिए दवाओं का विवेकपूरण उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'स्टेरॉयड के अलावा, टोसिलिजूमोब, इटोलिजूमाब जैसी कोविड-19 दवाओंका उपयोग भी प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है. और जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह जोखिम को बढ़ा देता है, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है.'

आईसीएमआर ने अपने दिशानिर्देशों में कोविड-19 मरीजों को इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का सेवन छोड़ने की सलाह दी है, जो एक ऐसा पदार्थ है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित कर देता है या दबा देता है. राष्ट्रीय कोविड-19 कार्यबल ने ऐसे किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए टोसिलिजुमाब की खुराक में बदलाव किया है. उचित स्वच्छता बनाए रखने से भी फंगल संक्रमण को दूर रखने में मदद मिल सकती है.

ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे मरीजों के लिए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ह्यूमिडिफायर में पानी साफ हो और उसे नियमित रूप से बार-बार डाला जाए. पानी का रिसाव न हो (गीली सतहों से बचने के लिए जहां फंगस प्रजनन कर सकते हैं) यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. मरीजों को अपने हाथों के साथ-साथ शरीर को भी साफ रखते हुए उचित स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए.

कोविड से उबरने के बाद भी सावधानी बनाए रखें

कोविड-19 से उबरने के बाद, लोगों को गहराई से निगरानी करनी चाहिए और ऊपर उल्लिखित किसी भी चेतावनी संकेत एवं लक्षण को याद रखना चाहिए, क्योंकि फंगल संक्रमण कोविड-19 से उबरने के कई हफ्तों या महीनों के बाद भी उभर सकता है. संक्रमण के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए. बीमारी का जल्द पता लगने से फंगल संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है.